India Saudi Train: सऊदी-यूएई में यूं ही नहीं ट्रेन दौड़ाने जा रहा भारत, अफ्रीका से यूरोप तक फुफकार रहा चीनी ड्रैगन – india nsa ajit doval meets his us uae counterparts in saudi arabia on rail project to take on china bri

रियाद: एशिया से लेकर अफ्रीका तक को अपने बेल्‍ट एंड रोड परियोजना के मकड़जाल में फंसाने वाले चीन को अब बड़ी चुनौती मिलने जा रही है। भारत, अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्‍त अरब अमीरात ने खाड़ी देशों के बीच ट्रेन सेवा बनाने पर काम शुरू कर दिया है। भारत, अमेरिका, यूएई और सऊदी अरब के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक हुई है। अमेरिका के राष्‍ट्र‍ीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और भारतीय एनएसए अजीत डोभाल ने सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्‍मद बिन सलामान से भी इस ट्रेन परियोजना पर बात की है। बताया जा रहा है कि भारत समेत ये चारों देश रेल और बंदरगाह नेटवर्क पर काम करने जा रहे हैं जिससे भारत और खाड़ी देशों के बीच संपर्क शानदार हो जाएगा।इस रेल और बंदरगाह नेटवर्क को बनाने की योजना I2U2 के मंच पर बनी थी जिसमें इजरायल, भारत, अमेरिका और यूएई सदस्‍य देश हैं। रेल और बंदरगाह डील में अभी इजरायल शामिल नहीं है। जेक सुलिवन ने सऊदी के क्राउन प्रिंस और भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अपने समकक्षों से सऊदी अरब में मुलाकात की है। इस दौरान अमेरिकी एनएसए ने द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों तथा भारत और दुनिया के साथ जुड़े हुए समृद्ध एवं अधिक सुरक्षित पश्चिम एशिया के साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के मुद्दे पर बातचीत की।सऊदी प्रिंस से मिले अजीत डोभालवाइट हाउस ने बताया कि बैठक रविवार को जेद्दा में हुई। उसने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भारत एवं दुनिया के साथ जुड़े हुए समृद्ध एवं अधिक सुरक्षित पश्चिम एशिया के साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के मद्देनजर सऊदी अरब में सात मई को सऊदी के प्रधानमंत्री और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शेख तहनून बिन जायद अल नहयान और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की।’ वाइट हाउस ने कहा, ‘सुलिवन ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों पर चर्चा करने के लिए क्राउन प्रिंस, शेख तहनून और डोभाल के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। वह इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन से इतर डोभाल के साथ और विचार विमर्श करने के लिए आशान्वित हैं।’सरकारी सऊदी प्रेस एजेंसी (एसपीए) की खबर के अनुसार, बैठक में संबंधित देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई, जिससे कि क्षेत्र के विकास और स्थिरता में वृद्धि हो। इस बीच एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खाड़ी और अरब देशों को रेलवे के एक नेटवर्क के माध्यम से जोड़ने के लिए एक संभावित प्रमुख संयुक्त बुनियादी ढांचा परियोजना पर चर्चा करने वाले हैं जो क्षेत्र में बंदरगाहों से शिपिंग लेन के माध्यम से भारत से भी जुड़ा होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परियोजना उन प्रमुख पहलों में से एक है जिसे अमेरिका पश्चिम एशिया में आगे बढ़ाना चाहता है क्योंकि इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है।भारत के लिए चुनौती बना चीन का बीआरआईपश्चिम एशिया में चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव उसके इसी दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा 2013 में शुरू की गई परियोजना बीआरआई विकास और निवेश पहलों की परियोजना है, जिसमें भौतिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से पूर्वी एशिया और यूरोप को जोड़ने की योजना बनाई गई है, जिससे दुनिया भर में चीन के आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव में काफी वृद्धि हुई है। अमेरिकी एनएसए ऐसे समय पर सऊदी अरब पहुंचे हैं जब खाड़ी देश का चीन के साथ संबंध अपने चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है।सऊदी अरब ने चीन की मध्‍यस्‍थता के बाद ईरान के साथ अपने रिश्‍ते को फिर से सामान्‍य कर लिया है। चीन बीआरआई के तहत इस पूरे इलाके में बहुत बड़े पैमाने पर आधारभूत ढांचे का विकास कर रहा है। यह रेल और बंदरगाह परियोजना चीन को अमेरिका का जवाब कहा जा रहा है। चीन की इस परियोजना से भारत के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। चीन अफ्रीका, खाड़ी देशों, मध्‍य एशिया और यूरोप से होने वाले व्‍यापार पर कब्‍जा करना चाहता है। भारत का मानना है कि चीन का यह नया सिल्‍क रोड उसके विकास और अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार को बाधित कर देगा।भारत का चाबहार प्रॉजेक्‍ट नहीं हुआ सफलभारत ने इससे बचने के लिए पहले ईरान के चाबहार बंदरगाह के रास्‍ते मध्‍य एशिया और यूरोप तक पहुंचने का काम शुरू किया है। भारत और ईरान के बीच यह कॉरिडोर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण बहुत सफल नहीं हो सका है। वहीं साल 2020 में अब्राहम अकार्ड पर समझौते के बाद भारत के लिए चीन को चुनौती देने का मौका मिल गया है। फिर वह चाहे क्षेत्रीय व्‍यापार हो या वैश्विक व्‍यापार।