हाइलाइट्सदुनियाभर के पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना बनने का सपना देख रहे भारत को बड़ा झटका लगा हैअंतरराष्ट्रीय सॉफ्ट पावर के मामले में भारत 6 पायदान पीछे चला गया है, जबकि चीन को फायदा हुआ जर्मनी लगातार 5वें साल दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बना हुआ है, वहीं अमेरिका ने दो स्थान की बढ़त दर्ज की लंदनदुनियाभर के पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना बनने का सपना देख रहे भारत को बड़ा झटका लगा है। अंतरराष्ट्रीय सॉफ्ट पावर के मामले में भारत 6 पायदान पीछे चला गया है। जर्मनी लगातार पांचवें साल दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बना हुआ है, वहीं भारत के धुर विरोधी चीन ने 4 स्थान की छलांग लगाई है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद अमेरिका ने दो स्थान की बढ़त दर्ज की है। भारत को 60 देशों के इंडेक्स में 40वां और चीन को 31वां स्थान मिला है। दरअसल, हर साल नेशन ब्रांड इंडेक्स के जरिए प्रशासन, मित्रतापूर्ण व्यवहार, संस्कृति और जीवन की गुणवत्ता के आधार जैसे 6 मानकों के आधार पर 60 देशों का मूल्यांकन किया जाता है। इस साल की रैकिंग में जर्मनी को लगातार 5वीं बार दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश चुना गया है। यही नहीं जर्मनी ने पहले की तुलना में अपने स्कोर में भी सुधार किया है। वहीं ब्रिटेन को भी इस रैंकिंग में बड़ा झटका लगा है। परमाणु बमों की अभेद्य ताकत जुटा रहा चीनी ड्रैगन, भारत-अमेरिका के लिए बड़ा खतरा, देखें तस्वीरेंरैंकिंग में जर्मनी के बाद कनाडा, जापान, इटली और ब्रिटेन का नंबरब्रिटेन ताजा रैंकिंग में दूसरे स्थान से लुढ़क कर 5वें स्थान पर पहुंच गया है। ब्रिटेन पर्यटकों के स्वागत से परहेज और पर्यावरण संरक्षण नहीं कर पाने की वजह से पिछड़ा है। इस रैंकिंग में जर्मनी के बाद कनाडा, जापान, इटली और ब्रिटेन का नंबर आता है। इस सर्वे को ब्रिटेन के राजनीति विज्ञानी सिमोन अन्होल्ट और सर्वे करानी संस्था इप्सोस ने कराया था। सर्वे में कहा गया है कि जर्मनी को अपने प्रॉडक्ट को लेकर लोगों के अच्छे रुख की वजह से फायदा मिला है। इसके अलावा सरकार गरीबी से अच्छे से लड़ रही है। कनाडा भी इस सूची में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है, साल 2020 में यह तीसरे स्थान पर था। कनाडा की आव्रजन नीतियों और सुशासन की प्रशंसा हुई है। वहीं लोगों ने कनाडा की संस्कृति और दोस्ताना व्यवहार को लेकर उसकी जमकर सराहना की है। इस सूची में भारत को 6 स्थान का झटका लगा है और वह 40वें स्थान पर पहुंच गया है। इपसोस संस्था ने कहा कि विभिन्न देशों की रैंकिंग में गिरावट सुशासन, पर्यटन, आव्रजन और निवेश में आई कमी की वजह से है।