Indian Forces former Chiefs has a closed door meeting in Taiwan leave China worried ताइवान क्‍यों गए थे भारत की सेनाओं तीन पूर्व चीफ, जानिए दौरे की इनसाइड स्‍टोरी, चीन की बढ़ीं धड़कनें

बीजिंग: ताइवान, चीन का कट्टर दुश्‍मन और भारतीय सेनाएं उसकी सबसे बड़ी चुनौती। ऐसे में जब ये दोनों मिल जाएं तो फिर ड्रैगन की टेंशन बढ़ना लाजिमी है। यही हुआ जब पिछले दिनों भारत की तीनों सेनाओं जल, थल और वायुसेना के पूर्व मुखिया ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचे। भारतीय सेना के रिटायर्ड चीफ जनरल एमएम नरवणे, पूर्व वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया और पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (रिटायर्ड) करमबीर सिंह ताइपे में यूं तो एक सिक्‍योरिटी डायलॉग के लिए गए थे लेकिन उनकी मौजूदगी से ही चीन परेशान हो गया है। बताया जा रहा है कि इन तीनों ने ताइवान में एक बंद कमरे में मीटिंग भी की है।तीनों पूर्व चीफ 2023 के इंडो-पैसिफिक सिक्‍योरिटी डायलॉग के लिए ताइपे में हैं। माना जा रहा है कि ये तीनों ही यहां पर भारत का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं।ताइवान ने किया था आमंत्रितइन तीनों पूर्व चीफ के ताइवान जाने की इनसाइड स्‍टोरी अलग ही है। ताइपे में इन तीनों पूर्व चीफ्स को ताइवान के विदेश मंत्रालय की तरफ से केटागलन फोरम में इनवाइट किया गया था। इन तीनों के साथ ही सेना और नौसेना के दो और पूर्व अधिकारी भी थे। इनमें से एक के पास राष्‍ट्रीय डिफेंस कॉलेज और आर्मी वॉर कॉलेज के लिए सिमुलेशन और प्‍लानिंग पर काम करने का अनुभव है। सूत्रों की मानें तो इन तीनों ही पूर्व चीफ्स की ताइवान यात्रा निजी तो हरगिज नहीं थी। पूर्व नौसेना प्रमुख करमबीर सिंह ने तो फोरम पर पैनल के साथ आधिकारिक वार्ता में ताइवान में दूसरों की मौजूदगी पर सवाल भी उठाए।ताइवान की होगी मददबताया जा रहा है कि पांच सदस्यों वाले प्रतिनिधिमंडल ने ताइवान के रक्षा मंत्रालय का प्राइमरी थिंक टैंक समझे जाने वाले केटागलन फोरम, राष्‍ट्रीय सुरक्षा और डिफेंस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट के साथ बंद कमरे में बातचीत भी की। यहां पर प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों ने ताइवान के साथ गहन वार्ता में हिस्‍सा लिया। विशेषज्ञों की मानें तो पूर्व भारतीय सेनाओं के प्रमुखों और ताइवान के अधिकारियों के बीच इस तरह की मीटिंग से दोनों सेनाओं के बीच एक कम्‍युनिकेशन चैनल स्थापित करने में मदद मिलेगी। ताइवान पिछले काफी समय से ऐसा ही चाहता है।चीन के विशेषज्ञ परेशानकई आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारत से गए प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यात्रा को पूरी तरह से निजी बताया लेकिन यह यात्रा चीन के लिए बड़ा संदेश थी। रक्षा सूत्रों की मानें तो भारत भविष्य में ताइवान पर आने वाले आकस्मिक संकट के एक परिदृश्य को दिमाग में रखकर योजना बना रहा है जिसमें चीन की तरफ से पूर्ण पैमाने पर हमला शुरू करने की आशंका है। यह बात भी खास है कि तीनों पूर्व भारतीय सेना प्रमुखों के ताइवान दौरे की चीन की सोशल मीडिया पर काफी चर्चा है। एक मिलिट्री ब्लॉगर वू टोंग ने तीन पूर्व प्रमुखों की यात्रा पर कहा है कि भारत, ताइवान में सक्रिय भूमिका निभाना चाहता है। ताइवान के संबंध में भारत की स्थिति स्पष्ट नहीं है और एक नया अध्याय शुरू हो सकता है।