Japan suspendes its moon mission SLIM launch for third time due to bad weather चांद की सतह पर टहल रहा भारत का प्रज्ञान रोवर, तीसरी बार टली जापान के ‘चंद्रयान’ की लॉन्चिंग, जानें वजह

टोक्‍यो: एक तरफ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को भारत का प्रज्ञान रोवर एक्‍सप्‍लोर करने में लग गया है तो दूसरी ओर जापान को तीसरी बार अपना चंद्र मिशन टालना पड़ गया है। जापान ने 28 अगस्‍त यानी सोमवार को निर्धारित उड़ान से 30 मिनट से भी कम समय पहले मून लैंडर ले जाने वाले रॉकेट की लॉन्चिंग में देरी की। खराब मौसम की वजह से लॉन्चिंग प्रभावित हो रही थी। कुछ समय के बाद इसे टाल दिया गया। जापान की जापानी एरोस्‍पेस एक्सप्‍लोरेशन एजेंसी यानी जैक्‍सा ने H2-A के साथ ही अपने सबसे विश्वसनीय भारी पेलोड रॉकेट को इस मिशन के लिए चुना था।अब कब होगा लॉन्‍च, कोई नहीं जानतामित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज लिमिटेड, जिसने स्‍पेसक्राफ्ट को बनाया है, उसकी तरफ से कोई भी अगली तारीख अभी नहीं दी गई है। इस कंपनी पर ही इसकी लॉन्चिंग की जिम्‍मेदारी है। पहले इसे शनिवार की सुबह लॉन्‍च होना था। लेकिन मौसम की के कारण लॉन्च का समय पहले रविवार और फिर सोमवार तक बढ़ा दिया गया। अगर यह मिशन लॉन्‍च हो जाता तो रूस के क्रैश हुए लूना-25 और भारत के चंद्रयान -3 के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ने वाला जापान तीसरा देश बन जाता। इस मिशन को पहले इस साल जनवरी 2023 में ही लॉन्‍च होना था। लेकिन एक के बाद एक मिलती असफलताओं वाले एक दुखद वर्ष के बाद, जापान अपने खराब अंतरिक्ष कार्यक्रम को बदलना चाहता है। उसका मानना है कि वह अभी निजी स्‍पेस सेक्‍टर में एलन मस्क के स्पेसएक्स से काफी पीछे है।क्‍यों जरूरी है यह मिशनजापान के मून लैंडर को स्‍मार्ट लैंडर फॉर इनवेस्टिगेटिंग मून यानी स्लिम नाम दिया गया है। यह एक मून स्‍नाइपर है और सटीकता की वजह से इसे स्‍नाइपर कहा जा रहा है। जैक्‍सा काफी बेसब्री से अपने मून मिशन का इंतजार कर रही है। स्लिम का मकसद चंद्रमा पर पिनप्‍वाइंट लैंडिंग की टेक्‍नोलॉजी को आगे बढ़ाना है। जापान के मिशन को बाकी देशों के चंद्रमा अभियान को एक नई दिशा देने वाला मिशन भी करार दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस मिशन के तहत उस सिद्धांत को बदलने में मदद मिल सकेगी जिसके तहत माना जाता था कि जहां लैंडिंग हो सकती है, वहीं अंतरिक्ष यान को लैंड कराया जाए।जापान के वैज्ञानिकों की उम्‍मीदेंचंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण, पृथ्वी के सिर्फ छठे हिस्से के बराबर है। ऐसे में किसी भी अंतरिक्ष यान को उतारना यहां पर एक चुनौतीपूर्ण काम होता है। हाई-डेफिनिशन इमेजिंग के साथ-साथ सैटेलाइट और दूरबीन टेक्‍नोलॉजी में प्रगति से वैज्ञानिकों को चंद्रमा की संरचना और इलाके को समझने में महत्‍वपूर्ण मदद मिली है। चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पानी जैसे संसाधनों का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। स्लिम का वजन 200 किलोग्राम है। जापान के वैज्ञानिकों ने स्लिम को चंद्रमा और ग्रहों पर ज्‍यादा से ज्‍यादा मिशन पूरा करने का दावा किया है।