इस्लामाबादपाकिस्तान के कराची बंदरगाह के पास दिखी पनडुब्बी की रक्षा विशेषज्ञों ने पहचान कर ली है। सबमरीन विशेषज्ञों के मुताबिक यह पनडुब्बी भारत की हाल ही में शामिल की गई कलावरी हो सकती है जो उस समय पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय जलसीमा में मौजूद थी। उन्होंने बताया कि फ्रांस से हाल ही में खरीदी गई स्कॉर्पीन क्लास की यह भारतीय पनडुब्बी कराची बंदरगाह से 150 समुद्री मील की दूरी पर थी। विशेषज्ञों ने कहा कि इतनी दूरी से किसी भी देश के लिए जासूसी करना अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक वैध है। नेवल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी नौसेना ने जिस वीडियो को जारी किया है, उसमें सबमरीन के दो मस्तूल दिखाई दे रहे हैं। फुटेज के विश्लेषण से पता चलता है कि यह स्कॉर्पीन क्लास की पनडुब्बी हो सकती है। विशेषज्ञों के इस दावे में इसलिए भी दम दिखाई दे रहा है कि भारतीय नौसेना स्कॉर्पियन क्लॉस की पनडुब्बी का इस्तेमाल करती है। भारत में इसे कलावरी कहा जाता है। पनडुब्बी मामलों के विशेषज्ञ रिचर्ड डब्ल्यू स्ट्रिन ने बताया कि यह संभवत: स्कॉर्पियन क्लास की सबमरीन है। अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में थी पनडुब्बी, भारतीय नौसेना के पूर्व अफसर ने निकाली पाकिस्तानी दावे की हवाकराची से 150 समुद्री मील की दूरी पर मौजूद थी सबमरीनपाकिस्तान ने जो जीपीएस कोऑर्डिनेट्स शेयर किए हैं, उससे पता चलता है कि सबमरीन उस समय कराची से 150 समुद्री मील की दूरी पर मौजूद थी। यह इलाका अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में आता है लेकिन पाकिस्तान के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में भी आता है। यहां से लगभग इतनी ही दूरी पर भारतीय नौसेना का ओखा नौसैनिक अड्डा है। इस जगह भारत का विशाल नौसैनिक बेस मुंबई 400 समुद्री मील की दूरी पर है। पाकिस्तान का दावा है कि यह घटना 16 अक्टूबर की है। नेवल न्यूज के मुताबिक वीडियो का पूरा संदर्भ अभी स्पष्ट नहीं है। यह सबमरीन ट्रेनिंग के उद्देश्य के लिए भी पानी में ऊपर आई हो सकती है। विशेषज्ञों ने कहा कि इतनी दूरी पर भारत का सबमरीन तैनात करना पूरी तरह से कानूनी है। यही नहीं भारत चाहे तो खुफिया अभियान चला सकता है और इसकी कानूनी छूट भी है। भारत के पास अभी 4 कलावरी श्रेणी की पनडुब्बी हैं और दो अन्य जल्दी ही मिलने वाली हैं। भारत जल्द ही नहीं पनडुब्बियां लेने जा रहा हो एआईपी तकनीक से लैस होंगी और ज्यादा दिनों तक पानी में रह सकेंगी। पाकिस्तान की नौसेना के पास पहले से ही इस तरह की पनडुब्बी मौजूद है। भारतीय सबमरीन के झूठ पर पाकिस्तान के जहरीले बोल- बताया क्षेत्र में शांति का ‘दुश्मन’जानें क्या होता है ईईजेड, पाकिस्तान दे रहा दुहाईपाकिस्तान का दावा है कि यह पनडुब्बी उसके ईईजेड में थी। दरअसल, अनन्य आर्थिक क्षेत्र को लेकर 1982 में संयुक्त राष्ट्र ने एक अंतरराष्ट्रीय कानून बनाया था। इस कानून को संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि, 1982 के नाम से जाना जाता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो विश्व के समुद्रों और महासागरों के इस्तेमाल के लिए एक कानूनी ढांचा उपलब्ध करवाता है। इस कानून के जरिए समुद्री संसाधनों, एक समान इस्तेमाल और समुद्री पर्यावरण के संरक्षण को भी सुनिश्चित किया जाता है।समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के अनुसार, आर्थिक अनन्य क्षेत्र जमीनी सीमा से अलग एक समुद्री क्षेत्र है। इस इलाके में विशेष कानून लागू रहेगा। इसमें कानून लागू करने का अधिकार तटवर्ती देश को प्राप्त होगा। यह सीमा आमतौर पर 3 से 12 समुद्री मील से 200 समुद्री मील तक फैली होती है। एक समुद्री मील में 1.852 किलोमीटर होता है। ऐसे में 200 समुद्री मील का मतलब 370.4 किलोमीटर की दूरी हुई। इस क्षेत्र में मछली पकड़ने, तेल-गैस निकालने या दूसरे तरीकों से आर्थिक दोहन करने का अधिकार संबंधित देश को मिला होता है।भारत से साथ खड़े हैं मुस्लिम देश, पाकिस्तान मार रहा अंधेरे में हाथ-पांव : पूर्व राजदूतपाकिस्तान का कराची बंदरगाह क्यों है खासदरअसल, बलूचिस्तान प्रांत में बलूच विद्रोहियों के लगातार हमलों से घबराए चीन और पाकिस्तान ने ग्वादर बंदरगाह को चाइना-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर का केंद्र बनाने की योजना को त्याग दिया है। चीन की सीपीईसी परियोजना उसकी बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा है। चीन और पाकिस्तान के बीच अब कराची बंदरगाह को विकसित करने की योजना पर हाल ही में हस्ताक्षर हुआ है। कराची शहर सिंध प्रांत की राजधानी और पाकिस्तान के आर्थिक गतिविधियों का केंद्र है।जापानी अखबार निक्केई के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से जारी सूचना के मुताबिक चीन करीब साढ़े तीन अरब डॉलर इस परियोजना पर खर्च करेगा। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस खबर की पुष्टि भी की है। इस परियोजना के तहत कराची पोर्ट का विस्तार, मछली पकड़ने के लिए एक अन्य बंदरगाह का निर्माण और 640 हेक्टेयर के इलाके में व्यापारिक जोन की स्थापना करना शामिल है। इसमें एक पुल भी बनाया जाएगा जो कराची बंदरगाह को मनोरा द्वीप समूह से जोड़ेगा।