कैलिफोर्नियाकरीब तीन साल पहले वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पानी मिलने की पुष्टि की थी। अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि पहले के आकलन की तुलना में वहां असल में ज्यादा पानी हो सकता है। यह भी कहा गया है कि सतह से आधा मील नीचे दर्जनों झीलें भी हो सकती हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के रिसर्चर्स ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के Mars Express ऑर्बिटर की मदद से मिले डेटा का अनैलेसिस किया।पानी है या कुछ और?इसमें मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर दर्जनों रेडार रिफ्लेक्शन मिले। ऐसी ही खोज 2018 में की गई थी। रेडार सिग्नल South Polar Layered Deposits क्षेत्र में मिले जहां पानी की बर्फ, ड्राई आइस और धूल लाखों साल से जमा है। हालांकि, इनमें से ज्यादा ऐसे तापमान में हैं जहां पानी जमा हुआ हो सकता है जबकि यहां सॉल्ड मिनरल परक्लोरेट होते हैं। हालांकि, JPL इन्वेस्टिगेटर जेफ्री प्लॉट का कहना है कि या तो यह पानी है या कुछ और। पानी का रहना मुश्किलइस स्टडी के लिए 15 साल से ज्यादा का डेटा लिया गया। इससे पहले मार्च में हुई एक स्टडी में पाया गया था कि मंगल ग्रह पर नहीं मिल रहे पानी का 33-99 प्रतिशत हिस्सा उसकी क्रस्ट के नीचे हो सकता है। इसमें संकेत दिया गया कि अरबों साल पुरानी चट्टानों में यह हो सकता है। मंगल की सतह का तापमान -63 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है जिसमें पानी का लिक्विड बना रहना मुश्किल है। कैसे आया पानी?पेपर पर काम करने वाले डॉक्टोरल स्टूडेंट आदित्य खुल्लर का कहना है कि यह पानी ज्वालामुखीय गतिविधि से पैदा हुआ हो सकता है। हालांकि, दक्षिणी ध्रुव पर इसके सबूत नहीं मिले हैं। वहीं, मई में रिसर्चर्स ने सैटलाइट तस्वीरों में मंगल पर ऐसे सबूत पाए थे जिनसे 50 हजार साल पहले ज्वालामुखी फटने की ओर इशारा मिला था। यह स्टडी जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में ठपी है।-180°C तापमान, फिर भी NASA को उम्मीद- इस चांद पर है जीवनफोटो: ESA/DLR/FU Berlin/Bill Dunford