लूना 25 में एक रोवर भी भेजना था। लेकिन वजन को कम करने के लिए ऐसा नहीं किया गया। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अगर रूस पहले और भारत बाद में उतरता है तो भी चंद्रयान का रोवर प्रज्ञान ही होगा, जो यहां सबसे पहले चलेगा। दोनों स्पेसक्राफ्ट के मिशन की बात करें तो चंद्रयान का मिशन 14 दिन का है वहीं, रूस का लूना-25 एक साल तक काम करेगा।