हाइलाइट्स:ईरान में कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जीत को इजरायल पचा नहीं पा रहा है इजरायल के प्रधानमंत्री ने ईरान के साथ परमाणु समझौते पर अमेरिका को चेतावनी दी हैनफ्ताली बेनेट ने कहा कि यह विश्वशक्तियों के लिए ‘जाग जाने का’ अंतिम मौका हैतेहरानईरान में कट्टरपंथी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की जीत को इजरायल पचा नहीं पा रहा है और अब धमकियों का दौर शुरू हो गया है। इजरायल के नए प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने ईरान के साथ परमाणु समझौते पर बातचीत कर रहे अमेरिका और अन्य देशों को चेतावनी दी है। बेनेट ने कहा कि यह विश्वशक्तियों के लिए ‘जाग जाने का’ अंतिम मौका है। उन्होंने कहा कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खमेनेई पर आश्रित रईसी देश में ‘क्रूर जल्लाद का शासन’ स्थापित करेंगे। बेनेट ने टीवी पर कैबिनेट की मीटिंग में कहा, ‘रईसी का चुनाव मैं कहूंगा कि दुनियाभर की ताकतों के लिए परमाणु समझौते की तरफ फिर से जाने से पहले जाग जाने का अंतिम मौका है। साथ ही यह जानने का कि वे किसके साथ बातचीत कर रहे हैं।’ इजरायली पीएम ने कहा, ‘क्रूर जल्लाद के शासन को व्यापक विनाश के हथियार हासिल करने की अनुमति कभी नहीं देनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इजरायल की इस बारे में स्थिति नहीं बदलेगी। ईरान और पांच शक्तिशाली देशों के बीच हुई बैठकइससे पहले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को नियंत्रित करने के उद्देश्य से 2015 में किए गए ऐतिहासिक परमाणु समझौते को दोबारा लागू करवाने को लेकर रविवार को ईरान और दुनिया के पांच शक्तिशाली देशों के राजनयिकों के बीच बातचीत हुई। ईरान में इब्राहिम रईसी की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद रविवार को इस तरह की यह पहली आधिकारिक बैठक थी। बैठक में शामिल कई राजनयिकों ने कहा कि उन्होंने जिन मुद्दों पर बातचीत की है, उन्हें संबंधित देशों की सरकारों द्वारा मंजूरी मिलना जरूरी है। बैठक में इस बात को लेकर भी चिंता जताई गयी कि ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति परमाणु समझौते को दोबारा लागू करवाने में अड़चन पैदा कर सकते हैं। चीन, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और ईरान के वरिष्ठ राजनयिकों ने ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना के एक होटल में छठे दौर की बातचीत के तहत अंतिम बैठक की। इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले यूरोपीय संघ के अधिकारी एनरिक मोरा ने कहा, ‘हम एक समझौते के करीब पहुंच गए हैं, लेकिन अब तक उसे अंतिम रूप नहीं दिया गया है। हमने समझौते के कई तकनीकी पहलुओं पर सार्थक चर्चा की है। समझौते के तकनीकी पहलुओं से जुड़े हुए दस्तावेज पहले से अधिक स्पष्ट हुए हैं। इसके कारण हमें यह पता चल सका है कि समझौते में बाधा बन रही राजनीतिक समस्याएं क्या हैं।’हालांकि, ईरान परमाणु समझौते को दोबारा लागू करने के लिए योजना करीब-करीब तैयार कर ली गयी है, लेकिन इसको लेकर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। ईरान के उप विदेश मंत्री सैयद अब्बास अरागची ने रविवार को कहा कि जेसीपीओए समझौते के लगभग सभी दस्तावेजों को लेकर बेहतर बातचीत हुई और इसमें शामिल राजनयिक शीघ्र ही अपने गृह देशों की ओर लौट आएंगे। राजनयिक अब अपने-अपने देशों की सरकारों से न सिर्फ सलाह-मशविरा करेंगे बल्कि अंतिम फैसले के लिये भी चर्चा करेंगे। बाइडन ने परमाणु समझौते में शामिल होने की इच्छा जाहिर कीवियना में होने वाली वार्ता में अमेरिका शामिल नहीं हुआ, क्योंकि 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर करने और ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने हालांकि कुछ शर्तों के साथ परमाणु समझौते में दोबारा शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। वियना में अमेरिका का एक प्रतिनिधिमंडल अन्य देशों के राजनयिकों के जरिए ईरान के साथ अप्रत्यक्ष रूप से बातचीत में शामिल हो रहा है। ईरान के कट्टर न्यायपालिका प्रमुख इब्राहिम रईसी की राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद रविवार को हुई इस तरह की यह पहली मुलाकात थी।रईसी के सत्ता में आने से ईरान में कट्टरपंथियों का वर्चस्व बढ़ जाएगा क्योंकि उन्हें देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का काफी नजदीकी माना जाता है। रईसी ईरान के पहले ऐसे राष्ट्रपति होंगे जिन पर अमेरिका 1988 में बड़े पैमाने पर लोगों को फांसी देने के कार्य में शामिल होने का आरोप लगाकर प्रतिबंध लगा चुका है। ईरान तेजी से यूरेनियम संवर्धन के कार्य में जुटा हुआ है, हालांकि हथियार बनाने से वह अभी दूर है। पिछले वर्ष ईरान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक की हत्या के बाद इजराइल और अमेरिका के साथ उसके संबंध बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं।