काठमांडू: चीन के नए नक्शे पर अब नेपाल में भी बवाल मच गया है। चीन ने अपने नक्शे में नेपाल के साल 2020 में जारी किए गए राजनीतिक नक्शे को मान्यता नहीं दी है। इससे पहले भारत ने भी नेपाल के इस नए नक्शे को खारिज कर दिया था। नेपाल की तत्कालीन केपी ओली सरकार ने चीनी राजदूत के इशारे पर भारत के नए राजनीतिक नक्शे के जवाब में अपना नया नक्शा जारी किया था। इसमें ओली सरकार ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को नेपाल का इलाका दिखाया था। वह भी तब जब यह पूरा इलाका वर्षों से भारत के कंट्रोल में है।काठमांडू पोस्ट अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन दोनों ही पड़ोसी देशों के नेपाल के नए नक्शे को खारिज करने से इसकी वैधता पर अब बड़ा संदेह पैदा हो गया है। चीन ने अपने नए नक्शे में कालापानी के पूरे इलाके को नेपाल का नहीं माना है। इससे पहले चीन के ग्लोबल टाइम्स ने देश का नया नक्शा जारी किया था जिसे देश के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय ने बनाया है। इसमें भारत के अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को चीन का बताया गया है। भारत ने चीन के इस नक्शे को पूरी तरह खारिज कर दिया है। भारत ने चीनी राजदूत से भी कड़ा विरोध दर्ज कराया है।भारत ने जहां चीन से अपना विरोध जता दिया है, वहीं नेपाल सरकार अब बुरी तरह से फंसी हुई है। उसे सूझ नहीं रहा है कि चीन की इस चाल का कैसे जवाब दिया जाए। वहीं केपी ओली सरकार में विदेश मंत्री रह चुके प्रदीप ग्यवली कहते हैं, ‘जिस तरह से हमने भारत से साल 2019 में नए नक्शे के जारी करने पर विरोध जताया था। ठीक उसी तरह से हमें चीन से इसका विरोध दर्ज कराके उनसे स्पष्टीकरण मांगना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेपाल ने अपने नए नक्शे को जारी करने से पहले चीन को इसकी सूचना दी थी।चीन के नेपाल के पुराने नक्शे के इस्तेमाल से काठमांडू में कई नेता हैरान हैं। प्रदीप ग्यवली कहते हैं, ‘हमारा भारत के साथ सीमा विवाद है लेकिन हमारा चीन के साथ कोई लंबित विवाद नहीं है। अगर चीन हमारे नए नक्शे को मान्यता देने से इंकार करता है तो यह बहुत गंभीर मामला है और प्रचंड सरकार को हमारे पड़ोसी देश चीन से स्पष्टीकरण मांगना चाहिए।’ इससे पहले भारत ने नेपाल के नए नक्शे को कड़ाई से नकार दिया था। नेपाल के एक अन्य नेता और पूर्व विदेश मंत्री रमेश नाथ पांडे ने इस बात पर हैरानी जताई कि चीन ने भी नेपाल के नए नक्शे को खारिज कर दिया है।पांडे ने कहा कि अगर चीन नेपाल के नए नक्शे को मान्यता नहीं देता है तो यह गंभीर मामला है। नेपाल का भारत के साथ-साथ चीन के साथ भी सीमा विवाद है। नेपाल और चीन के बीच लिपुलेख में सीमा के पिलर को लेकर गंभीर विवाद है। यही नहीं चीन अब नेपाल के हुमला, गोरखा और किमाथांका जिलों में नेपाल की जमीन पर कब्जा कर रहा है। चीन ने हुमला तो सैन्य चौकी तक बना ली है। नेपाल और चीन के बीच सीमा 1439 किमी लंबी है। नेपाली कांग्रेस पार्टी के एक नेता तो चीन के नए नक्शे के मामले को संसद में उठाने की मांग की है। नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड जल्द ही चीन की यात्रा पर जाने वाले हैं और इससे पहले सीमा विवाद गरमा गया है।