ब्रिसबेनइजरायल में पुरातत्वविज्ञानियों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने नई मानव प्रजाति की खोज की है। इस खोज को मनुष्यों के विकास की कहानी का एक लापता हिस्सा बताया जा रहा है। दरअसल, इजरायल के नेशेर रामला में खुदाई के दौरान वैज्ञानिकों के हाथ एक इंसानी खोपड़ी लगी है। यह खोपड़ी एक अलग होमो आबादी के अंतिम बचे मानव की बताई जा रही है। ये मानव इजरायल में 420000 से 120000 साल पहले रहा करते थे।पूरी तरह से होमो सेपियंस नहीं थे ये मानवइजरायल के रिसर्चर हर्शकोवित्ज, योशी जेदनर और उनके साथियों ने प्रसिद्ध जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययनों में बताया कि इस आदिकालीन मानव समुदाय ने कई हजार वर्षों तक निकटवर्ती होमो सैपियंस समूहों के साथ अपनी संस्कृति और जीन साझा किए। खोपड़ी के पीछे के हिस्सों समेत अन्य टुकड़ों और लगभग एक पूरे जबड़े के विश्लेषण से पता चलता है कि यह जिस व्यक्ति का अवशेष है वह पूरी तरह होमो सैपियंस नहीं था।निएंडथरल मानव से भी नहीं मिलते इनके अवशेषऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के सीनियर रिसर्च फेलो मिशेल लांगले ने द कनवर्सेशन में लिखा कि ये अवशेष 1,40,000-1,20,000 वर्ष पुराने बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, ये अवशेष होमो वंश के विलुप्त सदस्य निएंडथरल मानव के भी नहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि उस समय इस क्षेत्र में केवल इसी तरह का मानव रहते थे। इसके बजाय यह व्यक्ति होमो के एक विशिष्ट समुदाय का लगता है जिसकी पहचान विज्ञान ने पहले कभी नहीं की।खोपड़ी की हड्डियों से हुई प्रजाति की पहचानकई अन्य जीवाश्म मानव खोपड़ियों से विस्तारपूर्वक तुलना करने पर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि खोपड़ी के पीछे की हड्डी पुरातनकालीन विशेषताओं वाली है। यह हड्डी शुरुआती और बाद के होमो सैपियंस के खोपड़ी की हड्डी से अलग है। यह हड्डी निएंडथरल और शुरुआती होमो सैपियंस में पायी हड्डियों के मुकाबले थोड़ी मोटी है।इसका जबड़ा भी पुरातनकालीन विशेषताओं वाला है लेकिन यह निएंडथरल में पाए जाने वाले जबड़ों जैसा है। हड्डियां आदिकालीन और निएंडथरल का विशिष्ट मिश्रण दिखाती है।क्या इनके और भी लोग हैं?लेखकों ने संकेत दिया कि इजरायल के अन्य स्थलों जैसे मशहूर लेडी ऑफ ताबून पर मिले जीवाश्म इन नयी मानव आबादी का हिस्सा हो सकते हैं। ‘‘लेडी ऑफ ताबून’’ की खोज 1932 में की गई थी। व्यापक अध्ययन करने पर इस महत्वपूर्ण अजीब मानव ने हमें निएंडथरल शरीर रचना और उनके व्यवहार के बारे में काफी कुछ सिखाया और ऐसे वक्त में जब हमें अपने पूर्वजों के बारे में बहुत कम पता है। अगर ताबून सी1 और कासिम तथा जूतियेह गुफाओं के अन्य जीवाश्म नेशेर रामला होमो समूह के सदस्य थे तो इस पुन: विश्लेषण में हमें अनुसंधानकर्ताओं द्वारा पूर्व में दिए गए शरीर रचना विज्ञान में कुछ विसंगतियों का पता चलेगा।6000 से अधिक औजार भी मिलेरहस्यमयी नेशेर रामला होमो निएंडथरल के साथ हमारे हाल के साझा पूर्वज को दर्शा सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो अलग-अलग होमो आबादियों के बीच अंतर प्रजनन अधिक आम था जैसे कि पहले अंदाजा नहीं लगाया गया था। यहां तक कि टीम को नेशेर रामला स्थल पर पत्थर के करीब 6,000 औजार भी मिले। ये औजार उसी तरीके से बनाए गए जैसे कि होमो सैपियंस समूहों ने बनाए थे। इससे यह पता चलता है कि नेशेर रामला होमो और होमो सैपियंस न केवल जीन का आदान-प्रदान करते थे बल्कि औजार बनाने की तकनीक भी साझा करते थे।आग का भी प्रयोग करते ते ये मानवइस स्थल पर पकड़े गए, मारे गए और वहां खाए गए पशुओं की हड्डियां भी मिली है। ये खोज दिखाती है कि नेशेर रामला होमो ने कछुओं, हिरन, औरोक्स, सूअर और शुतुरमुर्ग समेत कई प्रजातियां का शिकार किया। साथ ही वे अपना खाना पकाने के लिए आग जलाते थे जो जीवाश्मों के जितने ही वर्षों पुरानी कैम्पफायर की खोज से पता चलता है। निश्चित तौर पर नेशेर रामला होमो कैम्पफायर जलाने और आग बनाने के लिए न केवल लकड़ियां इकट्ठा करते थे बल्कि आग को नियंत्रित भी करते थे जैसा कि आज के लोग करते हैं।कई सवालों के जवाब अब भी बाकीअभी कई सवालों का जवाब मिलना बाकी है जैसे कि अलग-अलग होमो समूह एक-दूसरे से कैसे बातचीत करते थे? इस अवधि में होमो आबादियों में होने वाले सांस्कृतिक और जीव विज्ञान संबंधी बदलावों के लिए इसका क्या मतलब है। इन सवालों के साथ काम जारी रखने से हमें अपने मानव इतिहास की बेहतर समझ बनाने में मदद मिलेगी।