नाइजर में राष्ट्रपति बेजौम के तख्तापलट के बाद पश्चिमी देशों टेंशन में आ गए हैं। इस बीच रूस की तरफ से भी इस मामले में दखल दिया जा रहा है। रूसी राष्ट्रपति पूतिन ने इस मामले में पड़ोसी देश माली से बातचीत की है। रूस के इस दखल से पश्चिम के देश परेशान हो गए हैं। हाइलाइट्सरूसी राष्ट्रपति पूतिन ने पड़ोसी देश माली के राष्ट्रपति से की बातचीतघाना में पश्चिमी अफ्रीकी सेना प्रमुख बैठक में लिया जाएगा फैसलारूस अनाज डिप्लोमेसी से इन देशों को अपने पाले में करने में जुटानई दिल्ली: अफ्रीकी देश नाइजर की बगावत से दुनिया की ताकतें परेशान हैं। रूसी राष्ट्रपति पूतिन ने पड़ोसी देश माली के राष्ट्रपति से इस मसले पर बातचीत की है। इसके बाद वहां की सरकार ने बातनाइजर में तख्तापलटचीत को लेकर नरम रुख दिखाया है। नाइजर में संभावित मिलिट्री दखल को लेकर शुक्रवार को घाना में पश्चिमी अफ्रीकी सेना प्रमुख बैठक होगी। इसका अजेंडा इस बात को लेकर है कि जब नाइजर में डिप्लोमेसी फेल हो जाएगी, तो उस हालात में इकनॉमिक वेस्ट अफ्रीकन स्टेट्स यानी ECOWAS किस तरह के सैन्य दखल को अंजाम देगा।संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने कोशिशदरअसल ECOWAS ने पहले कहा था कि नाइजर में संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिए हर कोशिश की जाएगी, जिसमें बल प्रयोग भी विकल्प हो सकता है। इससे पहले तख्तापलट में शामिल (कू) लीडर्स ने पश्चिमी देशों की उस मांग को खारिज कर दिया था, जिसमें सत्ता से बेदखल किए गए राष्ट्रपति मोहम्मद बैजोम की फिर से बहाली के लिए दबाव बनाया गया था। तख्ता पलटने वाली सैनिक सरकार ने कहा कि हम राष्ट्रपति मोहम्मद बैजोम पर राजद्रोह का मुकदमा चलाएंगे। रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ने इस तख्तापलट का समर्थन किया है। तख्तापलट के बाद रूसी झंडे लहराए गए थे। कुल मिलाकर इस घटनाक्रम से पश्चिमी देश सकते में हैं। इलाके में रूस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि पश्चिम के पास कुछ भी करने के लिए बहुत कम वक्त बचा है।Niger Coup: नाइजर में तख्तापलट से चीन क्यों परेशान, जिनपिंग को सता रही भविष्य की चिंता, मदद करेगा रूस?नाइजर में आखिर हुआ क्या?पश्चिम अफ्रीकी देश नाइजर में 26 जुलाई को राष्ट्रपति बेजौम की सरकार का तख्ता पलट दिया गया। बेजौम 2021 में राष्ट्रपति बने थे। साल 1960 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद यह पहली बार था जब बेजौम को लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता मिली थी। माली और बुर्किना फासो के बाद से इस देश को ऐसी अर्द्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरह देखा जा रहा था जो पश्चिमी देशों की सहयोगी रही है। राष्ट्रपति बेजौम ने अमेरिका और फ्रांस के साथ मजबूत सुरक्षा साझेदारी बनाई, लेकिन उनके सामने चुनौतियां कम नहीं थीं। आर्थिक बदहाली के अलावा लोगों को ये भी लगता था कि उनकी सरकार फ्रांसीसी सरकार पर कुछ ज्यादा निर्भर थी। साथ ही साहेल वाले क्षेत्र से आतंकवाद का खतरा तो था ही। पश्चिमी अफ्रीका का साहेल क्षेत्र बीते कुछ समय से जिहादी इस्लामिक उभार का शिकार रहा है। आंकड़े बताते हैं कि इस्लामी आतंकवाद के चलते पिछले जून से लेकर इस जून तक इस क्षेत्र में 22 हजार अफ्रीकी लोगों ने जान गंवाई है।Niger War: माली सीमा पर नाइजर के 17 सैनिकों की मौत, क्या सैन्य तख्तापलट वाले देश में शुरू हो गया युद्ध?पश्चिम के लिए नाइजर अहम क्यों?अफ्रीकी महाद्वीप में साहेल के इलाके में नाइजर पश्चिमी देशों के लिए ऐसे एंट्री पॉइंट की तरह काम कर रहा था, जहां से वह डिप्लोमैटिक मिशन चला रहे थे। यूरेनियम की वजह से भी नाइजर पश्चिम के लिए बेहद जरूरी है। यहीं से फ्रांस और यूरोपीय यूनियन को यूरेनियम जाता है। अगर सैन्य मौजूदगी की बात करें तो अमेरिका के करीब 1,100 और फ्रांस के 1500 सैनिक नाइजर में मौजूद हैं। अमेरिका के लिए नाइजर कितना अहम है, यह इसी बात से पता चलता है कि मार्च में ही अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने नाइजर के दौरे में साहेल इलाके के लिए $150 मिलियन की नई सहायता की घोषणा की थी।यूक्रेन के बाद अब अफ्रीकी देशों की बारी? नाइजर के साथ आया रूस, एक और युद्ध की चेतावनी!नाइजर में रूस के दखल से क्यों परेशान है पश्चिमनाइजर के पीछे पश्चिम की इतनी रुचि के पीछे दो वजहें हैं। रूस दो तरफ से इस इलाके में पश्चिम के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहा है। एक ओर जहां रूस ने रशिया-अफ्रीकी समिट में पश्चिमी देशों को निशाने पर लिया और अनाज डिप्लोमैसी कर इन देशों को अपने पाले में करने की कोशिश की। वहीं, नाइजर के कू लीडर्स पश्चिम देशों की नहीं सुन रहे, लेकिन रूसी राष्ट्रपति पूतिन की बात ध्यान से सुन रहे हैं। यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि वेस्ट अफ्रीका में रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर का दबदबा बढ़ा है। साथ ही यूरेनियम का भंडार होना भी बड़ी वजह है। यहां का 50% यूरेनियम फ्रांस के न्यूक्लियर प्लांट्स को चलाने के काम आता है। रूस के इस इलाके में दखल बढ़ने से पश्चिम को दिक्कत तो होगी ही।अल्पयू सिंह के बारे मेंNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म… पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐपलेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें