नियामे: 26 जुलाई को तख्तापलट के बाद से ही नाइजर में हालात गंभीर बने हुए हैं। पश्चिमी अफ्रीकी ग्रुप इकोवास (ECOWAS) की तरफ से देश पर हमले का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए नए सैन्य शासकों ने सेनाओं को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है। इकोवास तख्तापलट के बाद से ही नए शासकों के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन उसकी तरफ से कहा गया है कि अगर राजनयिक प्रयास सफल नहीं होते हैं तो वह संवैधानिक व्यवस्था बहाल करने के लिए सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है।ताकि दिया जा सके हमले का जवाबनाइजर के रक्षा प्रमुख की तरफ से ऑनलाइन एक डॉक्यूमेंट जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि हाई अलर्ट की स्थिति सेनाओं को किसी भी हमले के समय सही प्रतिक्रिया देने और किसी भी आकस्मिक स्थिति से बचने की मंजूरी देता है। नाइजर के रक्षा प्रमुख की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘देश पर आक्रामण के खतरे तेजी से महसूस किए जा रहे हैं।’ हालांकि इकोवास की तरफ से इस खतरे को बहुत ज्यादा तूल नहीं दिया गया है। इकोवास ने कहा है कि वह राजनयिक प्रयासों को आगे बढ़ाने पर ही जोर दे रहा है। हालांकि सैन्य हस्तक्षेप अभी तक एक मजबूत विकल्प बना हुआ है।क्या कहा इकोवास नेइकोवास के अध्यक्ष उमर अलीउ टूरे ने मीडिया से कहा, ‘मैं साफ तौर पर बता दूं कि इकोवास की तरफ से न तो नाइजर के लोगों के खिलाफ युद्ध की घोषणा की गई है और न ही देश पर हमला करने की कोई योजना है, जैसा कि बताया जा रहा है।’ किसी भी हस्तक्षेप के लिए सेनाओं को रेडी रहने के आदेश के बाद से तनाव की स्थिति है। इकोवास ने अगस्त में मिलिट्री हस्तक्षेप की बात कही थी। अगर मिलिट्री हस्कतक्षेप होता है तो फिर विद्रोह झेल रहा साहेल क्षेत्र और ज्यादा अस्थिर हो सकता है।तख्तापलट को जनता का समर्थनइस बीच तख्तापलट में शामिल मिलिट्री लीडर्स को देश की जनता का समर्थन मिल रहा है। शनिवार को हजारों लोगों ने राजधानी नियामी में रैली की। बताया जा रहा है कि यह नई रैली सबसे बड़ी रैली हो सकती है। आयोजकों की मानें तो यहां दस लाख लोगों ने हिस्सा लिया। इन तमाम लोगों ने सेना और तख्तापलट के नेताओं के भाषण को भी सुना है। 30,000 सीटों की क्षमता वाला नाइजर का सबसे बड़ा सेनी कोन्चे स्टेडियम दो-तिहाई भरा हुआ था और देर शाम को वुवुजेलस की आवाज सुनाई दे रही थी। स्टैंड पर नाइजर, अल्जीरिया और रूस के झंडे लहरा रहे थे।