इस्लामाबाद: पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक संकट में घिरता जा रहा है। वहीं अब पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर इसके रक्षक के तौर पर आगे आ रहे हैं। रविवार को जब जनरल मुनीर ने लाहौर स्थित कोर कमांडर हेडक्वार्टर पर देश के व्यापारियों के साथ मुलाकात की है। मुनीर ने इन व्यापारियों से मीटिंग के बाद कहा कि मुद्रा विनिमय को कर के दायरे में लाया जाएगा। जियो न्यूज की मानें तो उनका मकसद ऐसा करके अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरते पाकिस्तानी रुपए को संभालना है। इसके साथ ही जनरल मुनीर ने यह भरोसा भी दिया है कि डॉलर विनिमय और बैंक दरों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। पाकिस्तान के मामलों पर नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो जनरल मुनीर का इस तरह से कमान संभालना जनरल जिया-उल-हक के दौर की याद दिलाता है।जनरल मुनीर की नीतियांपाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिफ मुनीर ने मीटिंग में महत्वपूर्ण आर्थिक नीतियों को भी पेश किया। साथ ही उन्होंने देश के लिए एक स्थिर व्यापार वातावरण का आश्वासन दिया। यह सबकुछ ऐसे समय में हो रहा है जब पाकिस्तानी व्यापारियों ने पिछले सप्ताह बढ़ती महंगाई के खिलाफ हड़ताल की। इसमें ईंधन और बिजली के बिलों में बढ़ोतरी और डॉलर के मुकाबले रुपए में रिकॉर्ड गिरावट को लेकर हुआ प्रदर्शन भी शामिल है। व्यापारियों ने पाकिस्तान भर में अपने शटर बंद कर दिए, जबकि प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर टायर जलाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। जो बिजनेसमैन मुनीर के साथ मीटिंग में थे उनमें से 60 पाकिस्तान के नामी-गिरामी उद्योगपति थे।तस्करी से परेशान जनरलमीटिंग के दौरान जनरल मुनीर ने ईरान और अफगानिस्तान से शुरू होने वाले तस्करी गतिविधियों पर चिंताओं का जिक्र भी किया। साथ ही मौजूद लोगों को यकीन दिलाया कि इस तरह के अवैध व्यापार को रोकने के लिए तत्काल उपाय किए जाएंगे। उन्होंने पाकिस्तानी मुद्रा को मजबूत करने का वादा किया। पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने समानांतर अर्थव्यवस्था में सुधार करने और कर प्रणाली में कर नहीं भरने वाले व्यक्तियों को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिफ मुनीर ने कहा कि सऊदी अरब और चीन एक बार स्थिरता सुनिश्चित होने के बाद इस नकदी से जूझ रहे देश में निवेश करने में रुचि रखते हैं।यह पहला मौका है जब पाकिस्तान के किसी सेना प्रमुख ने भारत और कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया है।क्यों याद आए जिया-उल-हकजनरल असीम मुनीर की इस बैठक ने जानकारों को साल 1969 का वह दौर याद दिला दिया है जब सेना की कमान जनरल जिया-उल-हक के हाथ में थी। पाकिस्तान के तानाशाह ने सन् 1986 में कराची में एक समूह के व्यापारियों के साथ एक बैठक की थी। उस मीटिंग में पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के तरीकों पर चर्चा की गई थी। सन् उन्होंने 1987 में लाहौर में उद्योगपतियों के एक समूह से भी मुलाकात की थी, जिसमें देश की ऊर्जा संकट पर चर्चा की गई थी। जिया-उल-हक ने पाकिस्तान के इतिहास में सबसे लंबे समय तक शासन किया।