इस्लामाबाद: पाकिस्तान सेना के मुखिया जनरल आसिम मुनीर इस समय चीन के दौरे पर हैं और अगले तीन दिनों तक वह यहां पर रुकेंगे। बुधवार को उनके दौरे का पहला दौर था। सेना की मीडिया विंग इंटर-सर्विस पब्लिक रिलेशंस (ISPR) की तरफ से बताया गया है कि जनरल मुनीर ने पहले दिन आपसी सुरक्षा हितों के साथ ही सैन्य सहयोग पर भी चर्चा की है। जनरल मुनीर का गर्मजोशी से स्वागत किया गया और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) मुख्यालय में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।पीएलए कमांडर से मिले मुनीर29 नवंबर 2022 को मुनीर ने पाकिस्तान आर्मी के मुखिया का पद संभाला था और यह उनका पहला चीन दौरा है। पाकिस्तान की मीडिया की मानें तो दक्षिण एशिया में वर्तमान राजनीति को देखते हुए जनरल मुनीर का चीन दौरा काफी नाजुक है। आईएसपीआर की तरफ से बताया गया है कि जनरल मुनीर ने पीएलए के कमांडर से मुलाकात की और कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।जनरल मुनीर के साथ कमांडर ने आपसी सुरक्षा हितों और सैन्य सहयोग के मामलों पर बातचीत की है। दोनों सैन्य कमांडरों ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने और सेना से सैन्य सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता को दोहराया। जनरल मुनीर ने पीएलए सैनिकों की ऑपरेशनल क्षमताओं को भी परखा और सैनिकों की तरफ से प्रदर्शित ट्रेनिंग को भी परखा। दोनों देशों के जनरल आने वाले समय में पाकिस्तान की मिलिट्री और पीएलए के बीच ट्रेनिंग को लेकर रजामंद हुए हैं।Pakistan Crisis China: कंगाल पाकिस्तान 1 साल से नहीं दे रहा था पैसा, भड़की चीनी कंपनी ने यूं सीखाया सबक, बत्ती गुलदौरे में देरी से विशेषज्ञ हैरानपाकिस्तान के मिलिट्री जानकारों की मानें तो सेना प्रमुख के चीन दौरे को पूरा होने में इतना समय लगना काफी असाधारण है। आमतौर पर पाकिस्तान में नए सेना प्रमुख नियुक्ति के कुछ ही हफ्तों के अंदर चीन की यात्रा पर जाते हैं। जनरल मुनीर के चीन दौरे में काफी समय लग गया। बताया जा रहा है कि उनके इस दौरे में हुई देरी के लिए पाकिस्तान के आंतरिक हालात के साथ-साथ चीन में कोविड-19 का संक्रमण भी जिम्मेदार है। जनरल मुनीर का यह पहला दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नए प्रधानमंत्री के साथ ही नए रक्षा और विदेश मंत्रियों की नियुक्ति की है। इसके अलावा उनका भी तीसरा कार्यकाल शुरू हुआ है।चीन से मिलेगी मददचीन न सिर्फ पाकिस्तान का बड़ा आर्थिक मददगार है बल्कि उसका एक अहम रणनीतिक साझेदार भी है। पिछले दिनों ही चीन की वजह से सऊदी अरब और ईरान के बीच संबंध बहाल हुए हैं। कहीं न कहीं पाकिस्तान को इस दोस्ती का फायदा मिल सकता है। पाकिस्तान ने हाल के महीनों में अमेरिका को लुभाने की कोशिश की है। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार को इस बात का अहसास हो गया है कि आर्थिक और सामरिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए चीन की ओर ही देखना पड़ेगा। इसके अलावा पाकिस्तान में अमेरिका के रुख की वजह से काफी निराशा है। देश की जनता मानती है कि उसने आईएमएफ बेलआउट हासिल करने में मदद नहीं की।