इस्लामाबाद: भारत पाकिस्तान के संबंधों पर कार्यवाहक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अनवार-उल-काकर ने बड़ा बयान दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की तरह उन्होंने वार्ता की बात तो कही लेकिन साथ ही उन्होंने इसके लिए भारत को ही दोषी बता डाला। काकर ने इस बात पर तो जोर दिया कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति बहुत जरूरी है मगर साथ ही यह भी कहा कि भारत ऐसा नहीं चाहता है। जियो न्यूज के एक कार्यक्रम में इंटरव्यू देते समय काकर ने भारत के साथ रिश्तों पर कई अहम बातें कही हैं।’शांतिपूर्ण हल जरूरी’पाकिस्तान के अंतरिम प्रधानमंत्री काकर ने कहा संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार कश्मीर समस्या का शांतिपूर्ण हल होना जरूरी है। लेकिन साथ ही काकर ने चेतावनी भी दी है कि अगर दक्षिण एशिया में शांति का एक मौका अस्वीकार कर दिया जाता है तो यह न केवल भारत और पाकिस्तान बल्कि पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय होगा। जीओ न्यूज कार्यक्रम जिरगा में अपने पहले विशेष साक्षात्कार में काकर ने कहा कि वह भारत के साथ युद्ध नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर को एक मूल मुद्दा कहना इस बात का मतलब नहीं है कि हम हमेशा भारत के साथ युद्ध चाहते हैं।”संबंध कभी नहीं रहे मित्रतापूर्ण’पीएम काकर का कहना था कि इस्लामाबाद का नई दिल्ली के साथ पारंपरिक और ऐतिहासिक संबंध मित्रतापूर्ण नहीं रहा है। साल 2019 में भारत सरकार ने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था। उस घटना के बाद से ही दोनों पड़ोसियों के संबंध बिगड़े हुए हैं। भारत के साथ संबंधों के बहाली के संबंध में, प्रीमियर काकर ने कहा कि इस संबंध में निर्णय भारतीय राजनीति और उसके अंर्तमन द्वारा किया जाना चाहिए। उनकी मानें तो अगर ऐसा होता है तो दुनिया पाकिस्तान को एक जिम्मेदार भागीदार के रूप में पाएगी।शरीफ के रास्ते पर काकरकाकर से पहले पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी ऐसी ही बातें कही थीं। उन्होंने कहा था कि वह भारत के साथ वार्ता करना चाहते हैं। लेकिन इसकी जिम्मेदारी भारत सरकार की है। इसके अलावा शहबाज ने भारत को परमाणु हथियारों की धौंस भी दिखाई थीं। शरीफ ने कहा था कि अगर परमाणु युद्ध हुआ तो फिर कौन जिम्मेदार होगा, यह तय करना जरूरी है। काकर की ही तरह शरीफ ने कहा था कि दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के इतिहास और सन् 1947 में उनकी आजादी के बाद से तीन युद्धों के बावजूद अब पीएम मूल्यवान रिश्तों को तरजीह देना चाहते हैं।