Pakistan Economic Crisis: आईएमएफ ने भी दिखाया ठेंगा… आखिर कैसे दूर होगी पाकिस्तान की कंगाली? चीफ जस्टिस ने बताया ‘इकलौता रास्ता’ – pakistan imf loan crisis country can only overcome from economic crisis by general elections says cjp

इस्लामाबाद : पाकिस्तान इस वक्त राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है। शहबाज सरकार के सामने लचर अर्थव्यवस्था की चुनौती है। वहीं इमरान खान नीत विपक्ष जनता के मुद्दे उठाने के बजाय मुल्क में दोबारा चुनाव कराए जाने की मांग कर रहा है। इस बीच पाकिस्तान के चीफ जस्टिस (CJP) उमर अता बंदियाल ने गुरुवार को कहा कि मुल्क की सभी समस्याओं का हल आम चुनाव ही हैं। शहबाज सरकार का आरोप है कि इमरान खान की गलत नीतियों की वजह से ही देश की यह हालत हुई है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, उन्होंने सरकार की ओर से एनएबी (National Accountability) अध्यादेश में संशोधन को चुनौती देने वाली पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। पाकिस्तान के शीर्ष जज ने कहा कि मुल्क में सभी समस्याओं का समाधान जनता के फैसले (आम चुनाव) से ही संभव है। सीजेपी बंदियाल, जस्टिस इजाज उल अहसन और जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह की तीन सदस्यीय शीर्ष अदालत की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की।IMF Loan Pakistan : पाकिस्तानी पीएम ने IMF के साथ बेलआउट डील को दी मंजूरी, पैसों को तरसते देश को मिलेगी राहतविपक्ष कर रहा चुनाव की मांगपाकिस्तान में पिछले साल अप्रैल में एकजुट विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर इमरान खान को सत्ता से बाहर कर दिया था। इमरान कभी विदेशी साजिश बताते और कभी पाकिस्तानी फौज पर आरोप लगाते। सत्ता जाने के बाद इमरान ने लगातार जलसे किए और इस्लामाबाद तक लॉन्ग मार्च लेकर चले। वह सरकार से देश में चुनाव कराए जाने की मांग कर रहे थे। लेकिन जानलेवा हमला होने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी को राजनीति से अलग करने का ऐलान करते हुए लॉन्ग मार्च को खत्म कर दिया था।’एक हाथ में कुरान, दूसरे में परमाणु बम’, पाकिस्तानी मौलाना के जहरीले बोलबढ़ने वाली हैं पाकिस्तान की मुश्किलेंवर्तमान में पाकिस्तान इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। उसके हालात श्रीलंका जैसे होते जा रहे हैं जिसकी अर्थव्यवस्था पिछले साल धराशायी हो गई थी। शहबाज शरीफ की आखिरी उम्मीद, आईएमएफ का कर्ज, भी अब धूमिल पड़ती दिख रही है। पाकिस्तान सरकार और आईएमएफ 10 दिनों की ‘लंबी’ और ‘कठिन’ बातचीत के बाद भी किसी समझौते पर पहुंचने में विफल रहे हैं। इससे आने वाले समय में मुल्क का नकदी संकट और गहरा सकता है।