इस्लामाबाद: पिछले दिनों सोमवार को पाकिस्तान के पेशावर में हुए आतंकी हमलों में 102 लोगों की मौत हो गई। विशेषज्ञों के मुताबिक पहले से ही आर्थिक संकट और महंगाई में दबे पाकिस्तान की यह हालत रूलाने वाली है। लेकिन इसके बाद भी कुछ राजनेता, ब्यूरोक्रेट्स और कुछ बुद्धिजीवियों को उम्मीद है कि देश के हालात कुछ सुधर सकेंगे। बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वां प्रांत में हुए कुछ सेमिनार्स हुए तो कुछ पंजाब और सिंध प्रांत में होने वाले हैं। इन सेमिनार होने वाले हैं। इन सेमिनार में कुछ ऐसे लोग शिरकत करने वाले हैं जो शहबाज शरीफ सरकार की अर्थव्यवस्था को सुधारने वाली नीतियों से असंतुष्ट हैं। वहीं कुछ लोग इस बात से नाराज हैं कि देश के बेहतर भविष्य की तस्वीर की कल्पना तो की जा रही है लेकिन सरकार खर्चों पर लगाम नहीं लगा पा रही है। 25 से 30 फीसदी कटौती की मांग विशेषज्ञों की मानें तो एक नए पाकिस्तान को बनाना एक बड़ी रणनीति के तहत ही हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सैन्य रणनीति और प्रांतीय राजनीति के अलावा अर्थशास्त्र में एक संतुलन की जरूरत है। पाकिस्तान के कई विशेषज्ञ मानते हैं कि देश की सुरक्षा पर जो खर्च हो रहा है वह बहुत ज्यादा है। अर्थशास्त्री कैसर बंगाली के मुताबिक पेट्रोल या ईधन की कीमत बढ़ाने की जगह और जनता पर बोझ डालने से बेहतर होगा कि सरकार उस खर्च को कम करे जिससे कोई विकास नहीं हो रहा है।IMF Pakistan Loan: तो क्या चीन की वजह से आईएमएफ नहीं दे रहा है पाकिस्तान को कर्ज, चीनी कर्ज ने लूट लिया देश का खजानाउनका कहना है कि सन् 2000 दशक के मध्य से रक्षा पर जो खर्च किया जा रहा है उसे 25 से 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है। उनका कहना है कि कई अरब खर्च करने की क्या जरूरत है जब देश के पास खजाना नहीं है। उन्हें समझ नहीं आता है कि आखिर क्यों इसका आकलन नहीं किया जाता है जबकि पाकिस्तानी मिलिट्री इतनी ताकतवर हो गई है। मिलिट्री खर्च का बोझ जनता परसैन्य सुरक्षा हमेशा से ही देश में महंगी रही है और पिछल कुछ सालों में इसमें और इजाफा हुआ है। कई विशेषज्ञों की मानें जो जनता का इससे कोई लेना देना नहीं है। पिछले कुछ दशकों में पाकिस्तानी सेना का जो ढांचा जुल्फिकार अली भुट्टो के कार्यकाल में तैयार हुआ था, वह पूरी तरह से तबाह हो चुका है। भुट्टो ने सन् 1970 के दशक के मध्य में रक्षा मंत्रालय और ज्वॉइन्ट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी (JCSC) के जरिए सेनाओं के प्रबंधन का सिस्टम बनाया था। इन दोनों पर क्षमताओं को बढ़ाने, सैन्य-असैन्य संतुलन कायम करने और सुरक्षा का खर्च सीमित रखने का जिम्मा उठाया हुआ था।TTP Pakistan War: पाकिस्तान का वह इलाका जहां सेना भी रहती है दहशत में, तालिबान 15 सालों से खेल रहा है खून की होलीरक्षा मंत्रालय बना रबर स्टैंपआज पाकिस्तान के कई रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि रक्षा मंत्रालय अब रबर स्टैंप से ज्यादा कुछ नहीं है। इस मंत्रालय की अक्षमताओं की वजह से आज खरीद इतनी महंगी हो गई है कि लोग इस बारे में बातें करने लगे हैं। कई लोग मानते हैं कि आज अगर पाकिस्तान के सत्ताधारी एलीट और सेना के कई ऑफिसर्स एक ठोस बनाएं तो देश की स्थिति सुधर सकती है। नेताओं को सोचना होगा कि सिर्फ मित्र देशों पर मदद के लिए निर्भर न रहकर वो कैसे किसी विकल्प के जरिए देश की मदद कर सकते हैं। सेमिनार में होगी चर्चाजो सेमिनार होने वाले हैं उनमें शामिल होने वाले कुछ लोग पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) से हैं लेकिन ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) के सदस्य हैं। ये प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से नाराज हैं और पार्टी छोड़ चुके हैं। पूर्व वित्त मंत्री मिफताह इस्माइल और पूर्व पीएम शाहिद खाकन अब्बासी ने एक फरवरी को पीएमएल-एन से इस्तीफा दे दिया था। अब्बासी वह नेता थे जिन्हें साल 2017 में पूर्व पीएम नवाज शरीफ के जाने के बाद उनका विकल्प माना गया था। मिफ्ताह ने साल 2011 में पीएमएल-एन को ज्वाइॅन किया था। वह साल 2017 में पार्टी के वित्तीय मामलों के सलाहकार बने और साल 2022 में छह महीने के लिए वित्त मंत्री बने।