इस्लामाबाद : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को पाकिस्तान सरकार के सामने चिंता जाहिर की है कि विपक्ष कड़े आर्थिक फैसलों को लागू करने की राह में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है। संस्था ने शहबाज सरकार से प्रोग्राम रिव्यू को पूरा करने के लिए सभी ‘शर्तों’ को पूरा करने का आग्रह किया है। पाकिस्तान को आर्थिक संकट से पार पाने के लिए कर्ज की जरूरत है और इसके लिए उसे आईएमएफ की शर्तों को पूरा करना होगा। इसका मतलब है कि आने वाले दिनों में जनता पर टैक्स का बोझ और बढ़ सकता है। आईएमएफ के विजिटिंग मिशन चीफ नाथन पोर्टर पाकिस्तान को डिफॉल्ट से बचाने के लिए कड़े फैसले लेने में विपक्ष की भूमिका पर चिंता जाहिर की है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार पाकिस्तानी अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने 10 दिवसीय वार्ता के शुरुआती दौर के दौरान इन चिंताओं को व्यक्त किया। पाक वित्त मंत्री इशाक डार ने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।पाक सरकार ने आईएमएफ को दिया आश्वासनसूत्रों ने आईएमएफ मिशन चीफ के हवाले से कहा कि संस्था को चिंता सता रही है कि विपक्ष अतिरिक्त कराधान उपायों को लागू करने के तरीके में कुछ समस्याएं पैदा कर सकता है। सरकार वार्ता को पुनर्जीवित करने के लिए इन्हें लागू करने की योजना बना रही है। सरकार ने बिजली के दाम बढ़ाने की योजना पर काम भी शुरू कर दिया है। हालांकि वित्त मंत्री डार ने आईएमएफ मिशन चीफ को आश्वासन दिया है कि सरकार ‘राजनीतिक संवाद’ में विश्वास करती है। कानूनी और राजनीतिक से बचने की तैयारीखबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि वार्ता में डार ने कहा कि सरकार अतिरिक्त करों को इस तरह से लागू करने की कोशिश करेगी जिससे किसी भी तरह की कानूनी और राजनीतिक चुनौतियां न पैदा हों। पाकिस्तानी जनता पहले ही आसमान छू रही महंगाई का सामना कर रही है। ऐसे में राजकोषीय घाटे की भरपाई के लिए अगर सरकार टैक्स का बोझ बढ़ाती है तो जनता में आक्रोश फैल सकता है। शहबाज शरीफ को चिंता है कि उनके कड़े फैसले आगामी चुनाव में उन्हीं पर भारी पड़ सकते हैं।