इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सामने इस समय बड़ी मुसीबत है। एक तो अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का लोन प्रोग्राम खत्म होने को है तो दूसरी ओर देश में भी चुनाव होने वाले हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मालूम है कि अगर उन्होंने जल्द कुछ नहीं किया तो फिर उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) को एक बड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ेगा। इसे देखते हुए ही अब पार्टी ने सारे प्रयासों को अंजाम देना शुरू कर दिया है। इसके तहत ही देश के वित्त मंत्री इशाक डार ने इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम से मुलाकात की है।तेजी से गिरता मुद्राभंडारएक्सप्रेस न्यूज की तरफ से बताया गया है कि बुधवार को हुई इस मीटिंग में आईएमएफ का लोन प्रोग्राम को बहाल करने पर चर्चा हुई। आईएमएफ का कर्ज प्रोग्राम ऐसे समय में खत्म होने की कगार पर है जब उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से गिरता जा रहा है। डार ने ब्लोम के साथ मुलाकात में द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की जो आपसी हित से जुड़े हुए हैं।इसके अलावा डार ने उनसे यह अनुरोध भी किया कि आईएमएफ किश्त हासिल करने और डील को बहाल करने में पाकिस्तान की मदद करें। इस बीच, पीएम शहबाज शरीफ फ्रांस के लिए रवाना हो गए हैं। यहां पर पेरिस में वह एक नए वैश्विक वित्तीय समझौते की कोशिशें कर सकते हैं। शहबाज यहां पर शिखर सम्मेलन से अलग आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जिवा से मुलाकात कर सकते हैं। पीएम शहबाज 22 और 23 जून को पेरिस में रहेंगे।डूबते पाकिस्तान को फिर मिला चीन का सहारा, बैंक में पहुंचे एक अरब डॉलर, आईएमएफ से मदद की उम्मीदें टूटींएक भी नहीं सुन रहा आईएमफशहबाज ने कई बार जॉर्जिवा से फोन पर बात की है। साथ ही कर्ज को बहाल करने के लिए तीन चिट्ठियां भी लिखी हैं। लेकिन अभी तक कोई फायदा नहीं हुआ है। इससे पहले कैबिनेट सदस्य ने खुलासा किया कि आईएमएफ ने नए विदेशी कर्ज की राशि छह अरब डॉलर से घटाने का अनुरोध किया था मगर आईएमएफ ने उसे खारिज कर दिया। सरकार के पास इस सौदे को बहाल करने के अलावा फिलहाल कोई और ऑप्शन नहीं बचा है।क्या है कोई प्लान बीवित्त राज्य मंत्री डॉ आयशा पाशा ने जोर देकर कहा है कि आईएमएफ में वापस आना पाकिस्तान का सिर्फ इकलौता विकल्प है। आईएमएफ के साथ वार्ता के सकारात्मक कोशिशों में फेल रहने की स्थिति में उनसे प्लान बी के बारे में पूछा गया। इस पर डॉ पाशा ने कहा कि आईएमएफ में वापस जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। फिलहाल उन्होंने साफ तौर पर कहा कि उनके पास कोई प्लान बी नहीं है। उन्होंने दोहराया कि सरकार का लक्ष्य आईएमएफ कार्यक्रम को आगे बढ़ाना है।