इस्लामाबाद: बुधवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश की राष्ट्रीय सभा यानी संसद के निचले सदन को भंग कर दिया। इसके बाद विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने एक फेयरवेल प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जमकर जहर उगला। बिलावल ने वहीं बातें दोहराई हैं जो वह अक्सर कहते आए हैं। बिलावल ने पीएम मोदी को भारत के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के समकक्ष रखने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने पीएम मोदी के लिए कई आपत्तिजनक बातें कहीं।बिलावल ने भारत को बताया जिम्मेदारअपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कश्मीर को लेकर भी उनका दर्द सामने आया तो बतौर विदेश मंत्री उन्होंने अपनी विदेश नीतियों का भी बचाव किया। विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने बुधवार को भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना दोगुने सुर में की। विदेश मंत्री के रूप में अपने विदाई संवाददाता सम्मेलन में बिलावल ने अपनी विदेश नीति का बचाव किया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ संबंधों को सामान्य बनाने में प्रगति की कमी अगर है तो उसके लिए भारत जिम्मेदार है। बिलावल ने कहा कि नरेंद्र मोदी न तो अटल बिहारी वाजपेयी हैं और न ही मनमोहन सिंह।बयान से अलग आईं टिप्पणियांबिलावल ने इसके बाद गुजरात का नाम लेकर पीएम मोदी पर कुछ ऐसी टिप्पणी की जो काफी विवादित थी। उन्होंने इसी तरह की टिप्पणी सबसे पहले पिछले साल संयुक्त राष्ट्र सत्र के इतर की थी। कुछ लोगों ने बिलावल के बयान की तारीफ की थी तो कुछ का कहना था कि विदेश मंत्री के लिए भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री के खिलाफ ऐसा बयान देना उचित नहीं था। पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक उनकी टिप्पणियां उनके शुरुआती बयान से भी विरोधाभासी थीं।बिलावल के बयान से होगा विवादउन्होंने शुरुआत में इस बात को जोर देकर कहा था कि उनकी विदेश नीति तीन अहम सिद्धांतों पर आधारित थी। उन सिद्धांतों में से एक था निष्पक्ष नीति का पालन करना और जो लोकलुभावनवाद पर आधारित नहीं था। अखबार की मानें तो पीएम मोदी पर उनकी टिप्पणी, उनकी नए सिरे से ब्रांडिंग का एक हिस्सा है जिसके तहत वह देश की जनता की भावनाओं को जगाने की कोशिशें करते नजर आए। अखबार का कहना है कि उनकी यह टिप्पणी ऐसी है जो निश्चित तौर पर किसी विवाद को जन्म देगी।टीटीपी पर दिया बयानबिलावल ने अपने 16 महीने के कार्यकाल के दौरान विदेश नीति के मोर्चे पर कई ‘उपलब्धियों’ को भी गिनाया। अफगानिस्तान और भारत पर प्रगति की कमी पर बिलावल ने कहा, ‘आप क्या उम्मीद करते हैं? हमें 16 महीने में बदलाव लाना चाहिए जो 70 साल में नहीं हुआ।’ देश में बढ़ते आतंकवाद पर बिलावल का कहना था कि यह साफ है कि अफगान तालिबान की वापसी के बाद से प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का हौसला बढ़ा है। उन्होंने आगाह किया, ‘अगर अफगान तालिबान पाकिस्तान पर आरोप लगाता है तो इससे पहले उसके अपने लोगों को और फिर पाकिस्तान को नुकसान होगा।’