इस्लामाबाद: भारत का पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान इस समय भयानक आर्थिक संकट में फंसा है। डॉलर खत्म हो चुका है और आयात पर भी संकट पैदा हो गया है। ऐसे में अब सारी उम्मीदें अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) पर टिकी हैं। लेकिन कुछ जानकारों की मानें तो पाकिस्तान अगर आईएमएफ की शर्तें मानता है तो फिर वह अपनी संप्रभुता को उसके सामने गिरवी रख देगा। दरअसल आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान के भ्रष्टाचार विरोधी तंत्र का सशर्त रिव्यू होना है। नौ फरवरी को दुनिया को इस बात का पता लगेगा कि आईएमएफ ने क्या फैसला किया है। IMF की कड़ी शर्तें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनकी सरकार इस बात रजामंद हो गई है कि नेशनल अकाउंटबिलिटी ऑर्डनेंस (NAO) और फेडरेल इनवेस्टिगेशन एक्ट में (FIA) और सुधार किए जाएंगे। आईएमएफ की टास्क फोर्स की तरफ से एनएओ 1999 और एफआईए एक्ट 1974 में संशोधन किए जाएंगे। आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान की सरकार पर पिछले एक साल से यह शर्त लगाई जा रही हैं कि वह एनएओ में बदलाव करे। यह वह कानून है जिसके तहत पाकिस्तान के राजनेताओं के अलावा यहां के अफसरों ने 1100 अरब रुपयों का फायदा कमाया है। जमकर भ्रष्टाचार किया और जनता का पैसा लूटा। आर्थिक संकट, खाद्यान और ऊर्जा के संकट से जूझता पाकिस्तान में पिछले दिनों स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (संशोधन) बिल 2921 पास किया गया था।Pakistan IMF Loan: आईएमएफ की रकम से सिर्फ नाश्ता कर पाएगा पाकिस्तान, पहाड़ जैसे कर्ज संकट में राई के दाने बराबर जितनी मददनौ फरवरी के बाद बड़ा ऐलानकई लोगों का कहना है कि इस कानून के पास होते ही पाकिस्तान ने केंद्रीय बैंक को आईएमएफ के सुपुर्द कर दिया है। बाजार के विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आईएमएफ की कड़ी शर्तो को मानकर पाकिस्तान ने अपनी आर्थिक आजादी गंवा दी है। लेकिन यह भी सच है कि उसकी हालत ऐसी है कि वह इन शर्तों से इनकार नहीं कर सकता है। आईएमएफ की तरफ से सशर्त 1.3 अरब डॉलर रिलीज करने का फैसला किया गया है। नौ फरवरी के बाद इसका ऐलान कर दिया जाएगा। मार्च में अगली किश्त का ऐलान किया जाएगा। पाकिस्तान से क्या चाहता है आईएमएफरक्षा बजट में सालाना 10 से 20 फीसदी की कटौती के साथ ही आईएमएफ ने मांग की है कि सैन्य और असैन्य अफसरों की संपत्ति का ऐलान किया जाए। साथ ही शहबाज सरकार को इस महीने ही 300 अरब डॉलर के मिनी बजट के बारे में घोषणा करनी होगी। पाकिस्तान को 900 अरब डॉलर के सर्कुलर कर्ज का सामना करना है। ऐसे में उसे भारी कर लगाने होंगे। साथ ही बिजली, गैस और ऊर्जा पर मिल रही छूट को खत्म करना होगा। साथ ही सभी पेट्रोलियम उत्पादों पर 17 फीसदी जीएसटी की भी शर्त रखी गई है। इसके अलावा आईएमएफ से सलाह मशविरे के बाद ही पाकिस्तान कोई वित्त से जुड़े कानूनों में बदलाव कर सकेगा। एफएटीएफ की शर्तों के तहत अकाउंटबिलिटी, ऑडिट और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे फैसलों के कानून पर आईएमएफ नजर रखेगा।