हाइलाइट्स:पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान ने सीआईए को ड्रोन अड्डा बनाने की अनुमति देने से इनकार कियाअमेरिकी सेनाएं अफगानिस्‍तान से वापस जा रही हैं, सीआईए सीआईए ड्रोन बेस बनाना चाहती हैअफगानिस्‍तान से सटा केवल पाकिस्‍तान ही एक ऐसा देश है जहां पर सीआईए अड्डा बना सकती हैइस्‍लामाबादपाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़ा झटका देते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को देश की जमीन पर ड्रोन अड्डा बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। इमरान खान के इस बयान की चर्चा अब पूरी दुनिया में हो रही है। दरअसल, अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्‍तान से वापस जा रही हैं और सीआईए की कोशिश थी कि पाकिस्‍तान में खुफिया अड्डा बनाकर वह अफगानिस्‍तान में अलकायदा और अन्‍य आतंकियों को निशाना बनाती रहेगी। इमरान ने सीआईए के इन मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अमेरिका के लिए दिक्‍कत की बात यह है कि अफगानिस्‍तान से सटा केवल पाकिस्‍तान ही एक ऐसा देश है जहां पर सीआईए अपना अड्डा बना सकती है। बाकी अन्‍य देश जैसे तुर्कमेनिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान में रूस का प्रभाव है। वहीं अफगानिस्‍तान के एक अन्‍य पड़ोसी ईरान के साथ अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्‍ते हैं। ऐसे में अब अमेरिका के पास पाकिस्‍तान स मिन्‍नते करने के अलावा कोई और चारा नहीं है। कश्‍मीर की रट लगा उइगरों के खिलाफ अत्‍याचार पर चुप्‍पी साधे इमरान खान, ‘भूगोल’ ज्ञान पर बेइज्‍जतीसीआईए के लिए क्‍यों जरूरी है अड्डा, क्‍यों डर रहे इमरानपाकिस्‍तान के साथ तनावपूर्ण रिश्‍तों के बाद भी अमेरिका ने पाकिस्‍तान की धरती का इस्‍तेमाल करके तालिबान और अलकायदा के खिलाफ सैकड़ों ड्रोन हमले किए हैं। वह भी तब जब तालिबान के साथ पाकिस्‍तानी सेना के बहुत करीबी संबंध हैं। पाकिस्‍तानी पीएम इमरान खान ने जब चुनाव जीता था तब ऐलान किया था कि वह अपनी जमीन का इस्‍तेमाल सीआईए या अमेरिकी सेनाओं को अब नहीं करने देंगे। दरअसल, इमरान खान को डर है कि अगर तालिबान पर हमले के लिए उन्‍होंने अमेरिका को सैन्‍य अड्डा बनाने दिया तो मुस्लिम कट्टरपंथी भड़क जाएंगे और उनकी सरकार को उखाड़ फेकेंगे। इसी डर से इमरान अमेर‍िका को ड्रोन अड्डा नहीं बनाने दे रहे हैं। इससे पहले अमेरिकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुल्लिवान ने कहा था कि अमेरिका पाकिस्‍तान के साथ रचनात्‍मक बातचीत कर रहा है ताकि अफगानिस्‍तान दोबारा आतंकियों का अड्डा न बन जाए। अफगानिस्‍तान बन सकता है आतंकियों का अड्डा: सीआईएसीआईए के डायरेक्‍टर विलियम बर्न्‍स ने चेतावनी दी है कि अमेरिका के हटने के बाद आतंकी संगठन अलकायदा और आईएसआईएस के फिर से मजबूत होने की आशंका है। उन्‍होंने कहा कि सेना के हटने पर हमारी खुफिया सूचना इकट्ठा करने की क्षमता भी कम हो जाएगी। यह एक वास्‍तविकता है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी कहा है कि अलकायदा और आईएसआईएस मात्र दो साल के अंदर अमेरिका की धरती पर हमला करने की ताकत जुटा लेंगे। इसी खतरे को देखते हुए पिछले दिनों अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ घनी ने कहा था कि अमेरिका अब बहुत मामूली भूमिका निभाएगा। शांति या संघर्ष का सवाल अब पाकिस्‍तान के हाथ में है। अफगानिस्तान में नाकाम रहा अमेरिका : करजईअफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने रविवार को कहा कि अमेरिका उनके देश में कट्टरवाद से लड़ने और देश में स्थिरता लाने के लिए आया था, लेकिन करीब 20 वर्ष बाद वह नाकाम हो कर लौट रहा है। देश से अमेरिका और उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) बलों के रवाना होने से कुछ सप्ताह पहले करजई ने साक्षात्कार में यह बात कही। उन्होंने कहा कि कट्टरवाद ‘चरम’ पर है और देश को बुरी हालत में छोड़कर सैनिक वापस जा रहे हैं। करजई ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय 20 वर्ष पहले यहां आया था और उनका स्पष्ट उद्देश्य कट्टरवाद से लड़ना और देश में स्थिरता लाना था….लेकिन आज कट्टरवाद चरम पर है। इस तरह से वे नाकाम साबित हुए। जो विरासत वे छोड़ कर जा रहे हैं वह पूरी तरह से अपमान और तबाही।’तालिबान ने भारत से कहा, कोई भी पड़ोसी नहीं बदल सकता, हम रह सकते हैं साथ-साथकरजई ने कहा, ‘अफगान होने के नाते हम अपनी सारी नाकामियों को मानते हैं, लेकिन उन बड़ी ताकतों और बलों का क्या, जो यहां उस स्पष्ट उद्देश्य के लिए आए थे? वे अब हमें कहां छोड़ कर जा रहे हैं?’ इस प्रश्न का उत्तर भी उन्होंने स्वयं ही दिया कि ‘पूरी तरह अपमानित और तबाह स्थिति में।’ देश में 13 वर्ष तक सत्ता में रहे करजई के संबंध अमेरिका से कभी मधुर नहीं रहे। देश के हालात पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि विदेशी सैनिक उनके देश से जाएं और देश की जनता शांति के लिए एकजुट है और इस बात की जरूरत है कि वे अपने भविष्य की जिम्मेदारी उठाएं। उन्होंने पाकिस्तान, जहां तालिबान सरगना का मुख्यालय है और अमेरिका को लड़ाई के लिए जिम्मेदार ठहाराया और कहा कि दशकों का युद्ध समाप्त करना अफगान लोगों के ऊपर है। ‘पाकिस्तान अफगानिस्तान के खिलाफ साजिश बंद करे’पाकिस्तान की सेना और असैन्य नेतृत्व पर करजई ने कहा कि अफगानिस्तान एक ‘सभ्य संबंध चाहता है….अगर पाकिस्तान अफगानिस्तान के खिलाफ कट्टरवाद के इस्तेमाल का रवैया छोड़ देता है तो यह संबंध एक खूबसूरत रिश्ते में तब्दील हो सकता है, जो देनों पक्षों के लिए बेहद सार्थक संबंध होगा।’ अफगानिस्तान के विभिन्न पक्षों पर करजई ने कहा, ‘मैं इस बारे में बेहद स्पष्ट हूं कि दोनों पक्षों को अफगानी जनता की जिंदगियों और संपत्ति के बारे में सोचना चाहिए….लड़ाई विध्वंस है।’ उन्होंने कहा, ‘अफगानों का एकजुट होना ही इसका उत्तर है…हमें यह बात समझनी होगी कि यह हमारा देश है और हमें एक-दूसरे को मारना बंद करना होगा।’तालिबान राज लाने में मदद कर रहे इमरान खान