पेइचिंग : एक खोजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन (China) को 2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में ‘बहुत बड़ा’ नुकसान हुआ था। यह रिपोर्ट खोजी ऑस्ट्रेलियाई अखबार द क्लैक्सन (The Klaxon) में प्रकाशित हुई है। एंथनी क्लान की विशेष रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि घाटी में गलवान नदी (Galwan River) पार करते समय कई चीनी सैनिक (Chinese Troops) पानी में बह गए थे और डूब गए थे। इनकी संख्या चीन की ओर से जारी किए गए आंकड़े की तुलना में बहुत अधिक थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि तथ्यों को प्रभावित करने के लिए गलवान में हुई दो अलग-अलग झड़पों के तथ्यों और तस्वीरों को आपस में जोड़ दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने गलवान संघर्ष में मारे गए सैनिकों का खुलासा नहीं किया लेकिन उसने युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों के लिए मरणोपरांत पदक की घोषणा की थी। इस जांच के लिए द क्लैक्सन ने स्वतंत्र रूप से सोशल मीडिया शोधकर्ताओं की एक टीम का निर्माण किया।फर्जी वीडियो के बाद चीन की नई चाल, PLA का ऐलान- पोस्ट शेयर करो तो गलवान का पत्थर गिफ्ट में देंगे’गलवान डिकोडेड’ ने खोली चीन की पोलशोधकर्ताओं ने पाया कि चीनी सेना के मरने वाले सैनिकों की संख्या उन चार सैनिकों से कहीं ज्यादा थी जिनकी जानकारी बीजिंग ने दी थी। सोशल मीडिया शोधकर्ताओं ने ‘गलवान डिकोडेड’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें यह दावा किया गया है कि 15-16 जून की लड़ाई के शुरुआती दौर में शून्य तापमान में तेजी से बहने वाली गलवान नदी में तैरने का प्रयास करते हुए कई चीनी सैनिक मारे गए थे। तेज नदी में बह गए 38 पीएलए सैनिकरिपोर्ट में मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या 38 बताई गई है। चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो के कई यूजर्स के हवाले से शोधकर्ताओं की रिपोर्ट दावा करती है कि उस रात को कम से कम 38 पीएलए सैनिक नदी के तेज बहाव में बह गए थे। इनमें एक वांग नाम के एक सैनिक भी शामिल थे और सिर्फ वांग के मरने की आधिकारिक घोषणा ही चीन ने की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 15 जून की लड़ाई एक अस्थायी पुल निर्माण को लेकर शुरू हुई थी।चीन के गलवान वाले प्रॉपगैंडा वीडियो की खुली पोल, इस्तेमाल किए थे फिल्मी कलाकार, रिपोर्ट्स में दावाअस्थायी पुल को लेकर शुरू हुआ विवादभारतीय सैनिकों ने मई 2022 में गलवान नदी की एक धारा पर पुल का निर्माण किया। दूसरी ओर, पीएलए, अप्रैल से पारस्परिक रूप से तय बफर जोन में बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा था। 6 जून को 80 पीएलए सैनिक भारतीय पक्ष की ओर से बनाए गए पुल को तोड़ने आए। इसकी रक्षा के लिए 100 भारतीय सैनिक आगे आए। यह निर्णय लिया गया कि दोनों पक्ष बफर जोन को पार करने वाले सभी सैन्यकर्मियों को वापस बुलाएंगे। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पीएलए ने अपने वादे का पालन नहीं किया।’