कैलिफोर्नियाप्लूटो को भले ही अब सौर मंडल का एक ग्रह न माना जाता हो, उसके बारे में गहन और विस्तृत जानकारी जुटाना अभी भी वैज्ञानिकों के लिए बेहद अहम है। प्लैनेटरी साइंटिस्ट बॉनी बुराटी भी कई साल से इसी काम में लगी हैं। साल 2018 में उन्हें एक बड़ी सफलता मिली जब प्लूटो सूरज की रोशनी में डूबा दिखा। यह बेहद दुर्लभ नजारा 161 साल में सिर्फ एक बार होता है। क्यों दुर्लभ यह नजाराअमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी की साइंटिस्ट बुराटी ने स्पेसडॉटकॉम को बताया है कि पूरी तरह रोशनी में दिखने पर किसी ऑब्जेक्ट की चमक के आधार पर उसकी सतह के बारे में काफी कुछ बताया जा सकता है। प्लूटो को पूरी रोशनी में देखना इसलिए इतना मुश्किल है क्योंकि धरती की तुलना में इसकी कक्षा झुकी हुई है। 161 साल में एक बार दिखने वाले नजारे के लिए बुराटी और उनकी टीम ने पहले से तैयारी कर रखी थी। कोविड ने रोका कामउन्होंने इसके लिए पालोमर ऑब्जर्वेटरी के हेल टेलिस्कोप की मदद ली। 12 जुलाई, 2018 को प्लूटो काफी रोशन नजर आया। उसी महीने में कई बार और जुलाई 2019 में भी कुछ एक बार वह ज्यादा चमकता दिखा। पिछले साल भी उन्हें कई ऑब्जर्वेशन करने थे लेकिन कोविड-19 की वजह से ऑब्जर्वेटरी बंद हो गई। अब इस महीने, जुलाई और अक्टूबर में एक बार फिर नए ऑब्जर्वेशन लेने की तैयारी है।बुराटी का कहना है कि इन ऑब्जर्वेशन की मदद से यह समझा जा सकेगा कि प्लूटो पर ऐसा क्या है जिसकी वजह से अलग-अलग नजारे देखने को मिलते हैं। उनका कहना है कि प्लूटो काफी ऐक्टिव है। धरती के अलावा यह अकेला ऐसा ऑब्जेक्ट है जहां ग्लेशियर मिलते हैं।संकट में धरती, मंगल पर पैसे क्यों बर्बाद कर रहे वैज्ञानिक?Source: NASA/Johns Hopkins University Applied Physics Laboratory/Southwest Research Institute