अंकारातुर्की और अजरबैजान यूरोप में एक नया सैन्य संगठन बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसके लिए दोनों देश सैन्य सहयोग के क्षेत्र में संयुक्त कार्यक्रम आयोजित करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। तुर्की की संसद के अध्यक्ष मुस्तफा सेनटॉप ने बताया कि दोनों देश एक साथ सैन्य अभ्यास भी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अजरबैजान के साथ संयुक्त सेना बनाने को लेकर अभी कोई आधिकारिक बातचीत नहीं की गई है। माना जा रहा है कि अगर तुर्की और अजरबैजान संयुक्त सेना बना लेते हैं तो यह ग्रीस, आर्मीनिया, साइप्रस समेत कई देशों के लिए खतरे की घंटी होगी।क्या नया सैन्य संगठन बनाएगा तुर्की?अजरबैजान की Oxu.Az न्यूज एजेंसी ने सेनटोप से पूछा कि क्या एक संयुक्त सेना का गठन किया जाएगा, तो संसद अध्यक्ष ने कहा कि इस स्तर पर द्विपक्षीय अभ्यास हो रहे हैं। हम सैन्य सहयोग क्षेत्र में संयुक्त कार्यक्रमों की भी योजना बनाते हैं। हम समझौतों को लागू करने के लिए काम कर रहे हैं। एक राष्ट्र – दो राज्य हमारा आदर्श वाक्य है। इस संबंध में कई बातचीत हुई और कई समझौते हुए हैं।Armenian Genocide: क्या था आर्मीनियाई नरसंहार? जिसे मान्यता देने पर अमेरिका पर भड़का है तुर्कीअजरबैजान में तीन नए एयरपोर्ट बनाएगा तुर्की!रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि तुर्की अपने दोस्त अजरबैजान की जमीन पर तीन नए एयरपोर्ट बनाने की तैयारी में है। दावा किया जा रहा है कि इस एयरपोर्ट के सहारे तुर्की का इरादा मध्य एशिया में अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने का है। वहीं, अजरबैजान में विरोध के उठतीं आवाजों के बीच वहां की सरकार ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है। अजरबैजान ने कहा कि तुर्की उसकी जमीन पर कोई भी एयरपोर्ट बनाने की तैयारी में नहीं है।राफेल से लड़ना सीख रहा पाकिस्तान, चीन की भी नजर, भारत के लिए क्यों खतरनाक है तुर्की-कतर से उसकी दोस्ती?नागोर्नो कारबाख युद्ध में तुर्की ने की थी अजरबैजान की सहायतापिछले साल सितंबर में जब अजरबैजान और आर्मीनिया के बीच नागोर्नो-कारबाख में युद्ध हुआ था, तब तुर्की ने खुलकर अपने दोस्त की सहायता की थी। दावा तो यहां तक किया गया था कि तुर्की के लड़ाकू विमानों ने नागोर्नो-कारबाख के क्षेत्र में आर्मीनियाई फौजों के उपर बम गिराए थे। तुर्की ने अजरबैजान को सुसाइड ड्रोन देकर आर्मीनियाई फौज को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। हालांकि, अजरबैजान तुर्की से किसी भी प्रकार की सैन्य सहायता मिलने से इनकार करता है।आर्मीनिया-अजरबैजान की जंग में कूदा तुर्की, सेना भेजने को तैयार, तीसरे विश्वयुद्ध का बढ़ा खतरापाकिस्तान-तुर्की-अजरबैजान कर रहे मीटिंगइन दिनों तुर्की, पाकिस्तान और अजरबैजानी संसद के सदस्य तीनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए बातचीत भी कर रहे हैं। पाकिस्तान और तुर्की आंख मूंदकर एक दूसरे का समर्थन करते हैं। हाल के कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच कई संयुक्त युद्धाभ्यास भी आयोजित किए गए हैं। एक तरफ पाकिस्तान जहां भूमध्य सागर पर तुर्की के दावे का समर्थन करता है, वहीं बदला चुकाने के लिए तुर्की भी कश्मीर पर पाकिस्तान की तरफदारी करता है।