रियाद: सऊदी अरब को जो लोग अब तक तेल के बाजार का बड़ा खिलाड़ी मानते थे, वो आने वाले दिनों में अपनी इस सोच को बदल देंगे। अमेरिका को किनारे करके चीन के साथ हाथ मिला चुके सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने ‘बड़े गेम’ की तैयारी कर ली है। सऊदी अरब को साल 2029 में 500 बिलियन डॉलर वाली फ्यूचर सिटी नियोम में विंटर एशियन गेम्स की मेजबानी मिली है। नियोम के पास पास पहाड़ों में एशियाईशीतकालीन खेलों की मेजबानी देश के लिए बड़ा मौका साबित होने वाली है। सऊदी अकेला देश था जिसने इन खेलों के लिए बोली लगाई।क्या है एमबीएस का विजन 2030साल 2016 में सऊदी अरब में विजन 2030 लॉन्च किया गया था। यह एमबीएस का एक महत्वाकांक्षी सपना है जिसे रणनीति के तहत तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। इस रणनीति में न्यूयॉर्क से 33 गुना बड़ी इको-सिटी, ट्रोजेना स्की रिजॉर्ट और दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों वाले निओम के निर्माण तक शामिल है। कई काल्पनिक योजनाओं से लेकर बड़े सुधार जैसी योजनाओं को भी इसमें शामिल किया गया है। व्यापार करने में आसानी, सरकारी सेवाओं को सुव्यवस्थित करना और धार्मिक पर्यटन को बढ़ाना। सऊदी अरब ने पिछले दिनों एक महंगे फुटबॉल खिलाड़ी को खरीदा है। सऊदी अधिकारियों की मानें तो देश अब महंगी स्पोर्ट्स डील में ज्यादा से ज्यादा निवेश कर रहा है।सऊदी की ड्रीम सिटी नियोमनियोम, सऊदी अरब की ड्रीम सिटी है जहां पर रेगिस्तान के अलावा पहाड़ भी हैं। लाल सागर के करीब बसने वाले इस शहर का तापमान दिसंबर में 23 डिग्री सेल्सियस से 12 डिग्री सेल्सियस तक होगा। इसके अलावा यहां पर नॉर्डिक-ग्रे झील, एथलीटों के लिए एक फोल्ड-अप गांव, महल, होटल और बोटिंग के अलावा गोताखोरी के लिए सुविधाएं होंगी। साथ ही दो 500 मीटर ऊंची आसमान को छूने वाली बिल्डिंग्स की भी तैयारी है। कहा जा रहा है कि इस शहर में ड्रोन से सामान पहुंचाया जाएगा। साथ ही उड़ने वाली लिफ्ट निवासियों को सीधे उनके अपार्टमेंट तक लेकर जाएगी।इतिहासकार टायलर प्रीस्ट के मुताबिक सन् 1938 में बड़े पैमाने पर सऊदी तेल भंडार की खोज हुई थी और इसके बाद देश की सुरक्षा की गारंटी अमेरिका ने दी थी। द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने यूरोप के अपने सहयोगियों की करीब 80 फीसदी तेल की जरूरतों को पूरा किया था। सऊदी अरब दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है। ऐसे में देश को ईंधन की बढ़ती कीमतों से लाभ होता है।अब सिर्फ तेल से नहीं होगी खुशहालीपश्चिमी देश भी सऊदी अरब के साथ बेहतर संबंध तलाश रहे हैं। यह अकेला ऐसा तेल उत्पादक देश है जो उत्पादन में काफी तेजी से इजाफा कर सकता है। सऊदी अरब अपनी निर्यात आय का 80% तेल से अर्जित करता है। यह सऊदी अरब की जीडीपी का करीब 40 फीसदी हिस्सा है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि सऊदी अरब के पास सिर्फ 60 सालों के लिए ही पर्याप्त तेल भंडार है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सऊदी अरब अब सिर्फ तेल पर आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर नहीं रहना चाहता है। सऊदी अरब को इस क्षेत्र में कुछ सफलता भी मिली है। पिछले साल मई में, देश ने ऐलान किया था कि उस साल के पहले तीन महीनों में गैर-तेल निर्यात में 29 फीसदी का इजाफा हुआ है।