ब्रह्मांड में अगर कहीं जीवन है तो सिर्फ धरती पर लेकिन जीवन की संभावना न सिर्फ दूसरे ग्रहों पर भी हो सकती है बल्कि हो सकता है कि असल में वहां जीवन और उसका विकास धरती से कहीं ज्यादा बेहतर हो। जीवन की शुरुआत के लिए महासागरों की भूमिका सबसे अहम होती है और कुछ वक्त पहले की गई एक रिसर्च में ऐस्ट्रोनॉमर्स ने ऐसे ग्रहों पर जीवन की संभावना के मॉडल तैयार किए थे जहां पानी मौजूद है। उन्हें कुछ ऐसी स्थितियां मिलीं जिनसे महासागरों को जीने के लिए ज्यादा से ज्यादा बेहतर बनाया जा सके। (तस्वीर: TRAPPIST-1f की काल्पनिक सतह, क्रेडिट: NASA/JPL-Caltech)कहां होगा बेहतर जीवन?इस मॉडल के मुताबिक अपनी धुरी पर घूमने वाले ऐसे ग्रह जहां पानी हो, वहां सघन वायुमंडल, महाद्वीप और लंबे दिन हों, वहां जीवन सबसे अच्छे तरीके से पनप सकता है। दरअसल, ऐसी कंडीशन्स में महासागरों के ऊपर सर्कुलेशन बनता है जो न्यूट्रियंट्स को गहराई से सतह पर लाता है जहां बायोलॉजिक ऐक्टिविटी हो सके। यह तो समझ आ गया कि कहां बेहतर जीवन की संभावना हो सकती है लेकिन क्या कभी कोई ग्रह इन सभी मानकों पर खतरा उतरा भी है? (तस्वीर: Kepler-186f की काल्पनिक तस्वीर, क्रेडिट NASA)ऐसे ग्रहों पर खोजा जाता है जीवनअब तक 4000 से ज्यादा एग्जोप्लैनेट्स की खोज की जा चुकी है। जीवन के आधार के लिए इन पर पानी होना सबसे जरूरी है और इनमें से कुछ ऐसे हैं जो जिस सितारे का चक्कर काट रहे हैं, उससे इतनी दूरी पर स्थित हैं कि उनकी सतह पर लिक्विड रूप में पानी मौजूद है। इन्हीं ग्रहों पर जीवन की तलाश की जाती है। करीब दो साल पहले यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की रिसर्चर स्टेफनी ऑल्सन के नेतृत्व में हुई एक स्टडी में महासागरों के सर्कुलेशन से पैदा होने वाली जलवायु और हीट के ट्रांसपोर्टेशन पर ध्यान दिया गया। (क्रेडिट: NASA/Ames Research Center/Daniel Rutter)इसी आधार पर रखते हैं नजरइसके लिए कंप्यूटर मॉडल की मदद से अलग-अलग तरह के क्लाइमेट और महासागरों की तुलना की गई जो एग्जोप्लैनेट्स पर हो सकते हैं। धरती पर इन्हीं की वजह से जीवन बना हुआ है। महासागर और वायुमंडल एक-दूसरे से जुड़े हुए है, इसलिए महासागरों में जीवन के विकास की झलक वायुमंडल में होने वाले केमिकल बदलावों में भी दिखती है। इसी आधार पर कई प्रकाशवर्ष दूर स्थित ग्रहों पर टेलिस्कोप्स की मदद से रिसर्च की जाती है। (क्रेडिट: ESO/B. Tafreshi)दुनिया के 3 अरब लोगों का ‘जीवन’ महासागर, ले डूबेंगे मुंबई?दुनिया के 3 अरब लोगों का ‘जीवन’ महासागर, ले डूबेंगे मुंबई?