हाइलाइट्ससूरज से निकलती आग की बड़ी-बड़ी लपटों को देखकर डरें वैज्ञानिक2025 में सोलर मैक्सिमम के दौरान धरती पर बड़ा खतरा आने की चेतावनी दीवैज्ञानिकों ने कहा- उस साल अधिक संख्या में सौर तूफानों का करना पड़ेगा सामनावॉशिंगटनवैज्ञानिकों ने सूरज की चाल को देखते हुए अभी से 2025 के लिए चेतावनी देनी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि 2025 में सूरज के बदलते व्यवहार के कारण पृथ्वी पर बड़ा संकट आ सकता है। सूरज की सतह से निकलतीं लपटों के कारण अभी हफ्ते भर पहले धरती के नजदीक सौर तूफान पहुंचा था। इसके कारण अमेरिका के कुछ रेडियो स्टेशनों का प्रसारण बाधित भी हुआ था।सोलर मेक्सिमम में तेजी से बदलेंगे अंतरिक्ष के हालातनेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) के एक प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर बिल मुर्तघ ने बताया कि पिछले कई वर्षों में हमने सूरज में काफी कम हलचल देखी है। ऐसा अधिकतर सोलर मिनिमम के दौरान ही होता है। लेकिन, अब हम सोलर मैक्सिमम की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह साल 2025 में सबसे अधिक तेज होगा।Aurora Lights: धरती के करीब पहुंचा सूरज से उठा सौर तूफान, आसमान में दिख सकता है दिवाली जैसा नजारासूरज से भी ज्यादा प्रभावित करता है सौर तूफानउन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते के सौर तूफानों ने दिखाया है कि सोलर एक्टिविटी सूर्य से भी ज्यादा प्रभावित कर सकती है। जब यह पृथ्वी पर पहुंचता है, तो सोलर आउटब्रस्ट के कारण स्पेस वेदर नाम की घटनाओं की एक सीरीज पैदा करता है। इससे न केवल हमारी सैटेलाइट्स प्रभावित होती हैं, बल्कि ध्रुवीय इलाकों में रात के समय सुंदर अरौरा भी देखने को मिलता है।सूरज पर उठे तूफान कहीं ‘उड़ा’ न दें सैटलाइट, रखनी होगी नजर: स्टडीऔरोरा कब दिखता है?औरोरा तब प्रकट होता है जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र चैनल के इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड सोलर पॉर्टिकल्स ध्रुवों की ओर जाते हैं। यहां ये कण पृथ्वी के वायुमंडल के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। इससे चमकीले हरे रंग की रिबन जैसी रोशनी पैदा होती है। जब सोलर फ्लेयर ऐसे कणों को बड़ी संख्या में पृथ्वी के वायुमंडल की ओर भेजते हैं तो यह रोशनी आसमान में दिखाई देती है।Solar Storm: अंतरिक्ष से आ रहा सौर तूफान, अगले 24 घंटे में धरती से टकराने की संभावना, इंटरनेट हो सकता है बंदसौर तूफान का पृथ्वी पर असर क्या होता है?सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।ध्रुवों पर रंगीन रोशनी दिखाती है चमक तो आती हैं ‘अजीब’ आवाजें? मन का भ्रम या ब्रह्मांड का रहस्य?1989 में भी आ चुका है सौर तूफानवर्ष 1989 में आए सौर तूफान की वजह से कनाडा के क्यूबेक शहर में 12 घंटे के के लिए बिजली गुल हो गई थी और लाखों लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। इसी तरह से वर्ष 1859 में आए चर्चित सबसे शक्तिशाली जिओमैग्नेटिक तूफान ने यूरोप और अमेरिका में टेलिग्राफ नेटवर्क को तबाह कर दिया था। इस दौरान कुछ ऑपरेटर्स ने बताया कि उन्हें इलेक्ट्रिक का झटका लगा है जबकि कुछ अन्य ने बताया कि वे बिना बैट्री के अपने उपकरणों का इस्तेमाल कर ले रहे हैं। नार्दन लाइट्स इतनी तेज थी कि पूरे पश्चिमोत्तर अमेरिका में रात के समय लोग अखबार पढ़ने में सक्षम हो गए थे।