हाइलाइट्सदक्षिण अफ्रीका से आई गुड न्यूज, लगातार कम हो रहे ओमीक्रोन के मामलेसोमवार को 38 फीसदी घटकर 14,390 रह गए ओमीक्रोन के साप्ताहिक मामलेकुल 309 मौतों में से सिर्फ 40 वे जिन्हें दी जा चुकी थी वैक्सीन की दोनों डोजजोहान्सबर्गकोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का पहला मामला साउथ अफ्रीका में सामने आया था। लेकिन कुछ ही हफ्तों के बाद अब स्थिति काबू में आती दिख रही है। अच्छी खबर यह है कि साउथ अफ्रीका में कोविड मामलों में गिरावट जारी है क्योंकि ओमीक्रोन के कारण पैदा हुई संक्रमण की लहर अब खत्म होती दिख रही है। दुनिया में सबसे पहले ओमीक्रोन की सूचना देने वाला देश सात दिनों में 17 दिसंबर तक अपने चरम पर पहुंच गया था जब औसतन 23,437 मामले दर्ज किए गए थे। गत सोमवार तक यह संख्या 38 फीसदी घटकर 14,390 रह गई थी। ये आंकड़े सात दिनों का औसत है जो हर रोज घटते-बढ़ते मामलों की तुलना में ज्यादा विश्वसनीय हैं। हालांकि क्रिसमस पर कम संख्या में लोगों का टेस्ट किया जाता है। दूसरी ओर ब्रिटेन में मौत का आंकड़ा यह दर्शाता है कि ओमीक्रोन पिछले डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम गंभीर है। साल की शुरुआत में साउथ अफ्रीका में दैनिक मौतों का आंकड़ा अपने चरम पर पहुंच गया था जब औसतन 578 मौतें दर्ज की गई थीं।साउथ अफ्रीका में डरा रहा कोरोना का यह ट्रेंड, अस्पताल में तेजी से भर्ती हो रहे पांच साल से कम उम्र के मासूमवैक्सीन लगवा चुके सिर्फ 40 लोगों की मौतसाउथ अफ्रीका में अब दैनिक मौतौं का आंकड़ा करीब 60 है। यह सुझाव देता है कि मरीजों में अब कोरोना के हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं जिनसे उनके अस्पताल में दम तोड़ने की संभावना काफी कम रहती है। पिछले हफ्ते साउथ अफ्रीका के नए आंकड़ों से पता चला कि ओमीक्रोन से होने वाली 10 में से नौ मौतें बिना वैक्सिनेशन वाले रोगियों की हुई थी। कुल आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक ओमीक्रोन से हुई 309 मौतों में से सिर्फ 40 लोगों को वैक्सीन की दोनों खुराक दी जा चुकी थीं।वैज्ञानिकों ने की असरदार एंटीबॉडी की पहचानये आंकड़े वैक्सीन की ओर से दी जाने वाली सुरक्षा को दर्शाते हैं। बुधवार को खबर आई कि वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की पहचान की है जो कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन और अन्य स्वरूपों को उन स्थानों को निशाना बनाकर निष्क्रिय कर सकते हैं, जो वायरस परिवर्तित होने के बाद भी वास्तव में नहीं बदलते हैं। यह अध्ययन साइंस मैग्जीन ‘नेचर’ में प्रकाशित हुआ है। इस अनुसंधान से टीका तैयार करने और एंटीबॉडी से उपचार में मदद मिल सकती है जोकि न केवल ओमीक्रोन बल्कि भविष्य में उभरने वाले अन्य स्वरूपों के खिलाफ भी प्रभावी होगा।