मॉस्कोरूस की कोरोना वैक्सीन निर्माता कंपनी गमालेया रिसर्च इंस्टिट्यूट स्पुतनिक वी वैक्सीन का बूस्टर डोज लॉन्च करने जा रही है। रूस का दावा है कि यह वैक्सीन भारत में पहली बार मिले कोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट पर खास प्रभावी होगी। कंपनी ने बताया कि यह बूस्टर डोज वैक्सीन कॉकटेल से बनाया गया है। डेल्टा वैरियंट भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में तेजी से फैल रहा है। जिसमें ब्रिटेन, अमेरिका, वियतनाम जैसे देश भी शामिल हैं। स्पुतनिक वी के असरदार होने का दावारूस पहले ही दावा कर चुका है कि उसकी स्पुतनिक वी वैक्सीन दुनिया भर में मिले कोविड के हर एक वैरियंट पर प्रभावी है। इतना ही नहीं रूस ने तो स्पुतनिक लाइट वैक्सीन का भी निर्माण किया है, जो सिंगल डोज में इंसानों को कोरोना के प्रति इम्यून करती है। रूस का यह भी कहना है कि गमालेया सेंटर ने ने अप्रैल 2020 में ही स्पुतनिक वी नाम से पहली कॉकटेल वैक्सीन का निर्माण कर लिया था। हालांकि, रूसी सरकार ने इसे अगस्त में अपनी मंजूरी दी थी। यह 2 अलग-अलग एडेनोवायरल वैक्टर Ad5 और Ad26 का प्रयोग करता है।बेहद घातक है कोरोना का डेल्टा वैरियंटकोरोना वायरस के डेल्टा वैरियंट को वैज्ञानिक भाषा में B.1.617.2 के नाम से जाना जाता है। यह अबतक का सबसे अधिक संक्रामक वैरियंट साबित हुए हैं। इस वैरियंट से मरीजों में सुनने में दिक्कत, गंभीर गैस्ट्रिक बीमारी और ब्लड के थक्के, गैंगरीन समेत कई लक्षण दिखाई दे रहे हैं। डेल्टा, ज (B.1.617.2) के नाम से भी जाना जाता है। पिछले छह महीनों में 60 से अधिक देशों में फैल गया है और ऑस्ट्रेलिया से लेकर अमेरिका तक ने यात्रा प्रतिबंधों को और कड़ा किया है।डेल्टा वैरिएंट ‘नया दुश्मन’देश भर में मरीजों का इलाज कर रहे छह डॉक्टरों के अनुसार, पेट दर्द, मितली, उल्टी, भूख न लगना, सुनने की क्षमता और जोड़ों में दर्द उन बीमारियों में शामिल हैं, जिनका कोविड रोगी सामना कर रहे हैं। पिछले महीने न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की ओर से किए गए एक रिसर्च के अनुसार, बीटा और गामा वेरिएंट- पहली बार क्रमशः दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में पाए गए थे।डेल्टा से अधिक संक्रामक हो सकता है इसका नया वेरिएंट, जानें क्या कह रहे हैं एक्सपर्टकैसे काम करती है यह वैक्सीनरूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। मॉस्को की सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में 18 जून 2020 से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुए थे।इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन की मदद करेगा रूस, स्पुतनिक लाइट वैक्सीन के सिंगल डोज की करेगा सप्लाईस्पुतनिक की सिंगल डोज वैक्सीन 79 फीसदी प्रभावी!रूस का दावा है कि उसकी स्पूतनिक लाइट वैक्सीन का इंजेक्शन लगाने के 28 दिनों के बाद विश्लेषण किए गए आंकड़ों के अनुसार 79.4 फीसदी प्रभावी है। 5 दिसंबर, 2020 से लेकर 15 अप्रैल 2021 के बीच बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम के दौरान किसी भी कारण से दूसरा डोज नहीं लगवाने वाले रूसियों से यह डेटा इकट्ठा किया गया है। इतना ही नहीं, रूस का यह भी कहना है कि स्पूतनिक सिंगल डोज वैक्सीन दुनियाभर में मौजूद दो डोज वाली कई कोरोना वैक्सीन से ज्यादा प्रभावी है।स्पुतनिक वी वैक्सीन