अमेरिका और नाटो देशों से बढ़ते तनाव के बीच रूस अपनी सामरिक ताकत बढ़ाने में जुटा हुआ है। रूस की सरकारी और प्राइवेट डिफेंस इंडस्ट्रीज लगातार नए-नए हथियारों को बना रही हैं। कुछ दिन पहले ही रूस ने रिमोट कंट्रोल्ड टर्मिनेटर और टी-14 आर्मटा टैंक को सेना में शामिल करने के लिए प्रॉडक्शन को मंजूरी दी है। इसके अलावा रूस ने चेकमेट नाम से एक नए लड़ाकू विमान को भी बनाया है। आधिकारिक तौर पर अनावरण के लगभग चार महीने बाद दूसरी बार इस चेकमेट फाइटर जेट की कुछ नई तस्वीरें सोशल मीडिया में सर्कुलेट हो रही हैं। दुबई एयर शो में रूसी पेवेलियन में इस लड़ाकू विमान की रेप्लिका को बतौर प्रोमोशन के लिए रखा गया है। इस लड़ाकू विमान की तुलना शुरू से ही सुखोई एसयू-57 फेलन से की जाती है। दोनों विमान देखने में कमोबेश एक जैसे हैं, हालांकि कई ऐसी चीजें भी हैं जो दोनों को अलग बनाती हैं। रूस ने इस विमान के अनावरण के साथ ही इसे भारत और चीन को बेचने के लिए ऑफर भी दिया हुआ है।सुखोई एसयू-75 चेकमेट और एसयू-57 में क्या है अंतरचेकमेट और एसयू-57 में सबसे बड़ा अंतर इनके इंजन और आकार को लेकर है। चेकमेट एक सिंगल इंजन का लाइटवेट लड़ाकू विमान है, जबकि एसयू-57 डबल इंजन का हैवीवेट लड़ाकू विमान है। एसयू-57 को सुखोई फ्लैंकर फैमिली का हैवीवेट उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता है। रूस ने चेकमेट फाइटर जेट को लाइट टैक्टिकल एयरक्राफ्ट के रूप डेवलप किया है। रूस के प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि चेकमेट लड़ाकू विमान 57 फीट लंबा और 39 फीट चौड़ा है। किसी भी विमान की चौड़ाई उसके एक पंख के अंतिम छोर से दूसरे पंख के अंतिम छोर के बीच की दूरी होती है। वहीं, एसयू-57 लड़ाकू विमान 66 फीट लंबा और 46 फीट चौड़ा है। इससे स्पष्ट होता है कि एसयू-57 हर मायने में चेकमेट लड़ाकू विमान से बड़ा, भारी और ज्यादा वजन उठाने में सक्षम है। इसके बावजूद दोनों विमानों की बाहरी डिजाइन लगभग एक तरह की ही है। 2200 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से उड़ सकता है चेकमेटरूस की सरकारी न्यूज एजेंसी TASS में प्रकाशित एक रिपोर्ट में चेकमेट लड़ाकू विमान से संबंधित कुछ आंकड़े जारी किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि चेकमेट की अधिकतम गति 2,200 किलोमीटर प्रति घंटा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चेकमेट की रेंज करीब 2800 किलोमीटर की है। यह आंकड़े पहले से जारी किए गए आंकड़ों से थोड़े कम हैं। हम जानते हैं कि किसी विमान की अधिकतम रेंज उसमें बाहरी ईंधन के टैंक के साथ विमान के उड़ान भरने वाली दूरी पर निर्भर करती है। ऐसे में अगर लाइटवेट चेकमेट को अपने साथ ईंधन के अतिरिक्त टैंक लेकर उड़ान भरना पड़ा तो उसे कम मात्रा में हथियारों को लेना होगा। इतना ही नहीं, अगर इन टैंकों को निकाला जाता है तो विमान में पहले से अधिक हथियार तो फिट किए जा सकेंगे, लेकिन इसकी रेंज घट जाएगी।हल्के लड़ाकू विमानों से चेकमेट को सबसे बेहतरीन बता रहा रूसचेकमेट लड़ाकू विमान को अपनी श्रेणी में सर्वोत्तम होने का दावा किया जा रहा है। चेकमेट लड़ाकू विमान अपने साथ 7,400 किलोग्राम तक के हथियारों को लेकर उड़ान भर सकता है। इस विमान में हथियारों को रखने के लिए पांच हार्डपॉइंट भी बने हुए हैं। इनमें से तीन विमान के अंदर के वेपन बे में स्थित हैं। इस विमान के पंखों पर छह अन्य पॉयलन भी बने हुए हैं, जहां दूसरे हथियारों को फिट किया जा सकता है। ऐसे में चेकमेट किसी लाइटवेट फाइटर जेट की श्रेणी से थोड़ा ऊपर मीडियम वेट का फाइटर जेट ज्यादा लगता है। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण विमान की इंटरनल फ्यूल कैपिसिटी है। रूस ने इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है। दरअसल, इंटरनल फ्यूल पर ही निर्भर करता है कि वह विमान कितनी दूरी तक आराम से उड़ान भर सकता है। इन हथियारों को फायर कर सकता है चेकमेट लड़ाकू विमानएक इंजन वाला सुखोई चेकमेट विमान अपने अंदर हथियारों को छिपाए रखता है जिससे उसके रेडॉर पर पकड़े जाने की संभावना नहीं रहती है। इसी वजह से इसे पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान कहा जा रहा है। इस विमान के पास लगाए गए डिस्प्ले में कहा गया कि चेकमेट फाइटर जेट में आर-73 एंटी एयर मिसाइल, आर-77 एंटी एयर मिसाइल और केएच-59 एमके एंटी शिप क्रूज मिसाइल लगाई जाएगी। इसका मतलब यह हुआ कि इस विमान को हवा में आधिपत्य हासिल करने और दुश्मन के जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है। यही नहीं चेकमेट अपने हथियारों के जखीरे में मिसाइल के आकार के ड्रोन ले जा सकेगा। यह विमान 2.2 मैक की स्पीड से 54 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकेगा।रूस ने भारत को भी दिया सुखोई चेकमेट विमान का ऑफरइस मौके पर रूस ने अपने अत्याधुनिक विमान चेकमेट का ऑफर भारत को भी दिया है। इस कार्यक्रम के आधिकारिक वीडियो में दिखाया गया है कि चेकमेट को निर्यात के लिए बनाया है। इस विमान को संयुक्त अरब अमीरात, भारत, वियतनाम और आर्जेंटीन को बेचा जा सकता है। रूस के डेप्युटी पीएम यूरी बोरिसोव ने कहा कि इसे निश्चित रूप से अफ्रीकी देशों, भारत और वियतनाम के लिए बनाया गया है। इस तरह के विमान के लिए मांग बहुत ज्यादा है। हमारा अनुमान है कि आने वाले भविष्य में 300 से ज्यादा फाइटर जेट बेचे जाएंगे।’ बता दें कि भारत रूसी हथियारों का बहुत बड़ा खरीदार है। भारत ने रूस की सुखोई और मिग कंपनियों से अब तक कई श्रेणी के फाइटर जेट खरीदे हैं। भारत अभी मिग-21, सुखोई-30 एमकेआई, मिग-29 लड़ाकू विमान इस्तेमाल कर रहा है।