वॉशिंगटनजब कोई सितारा मरता है तो आमतौर पर उसमें एक बड़ा विस्फोट होता है जिसे सुपरनोवा कहते हैं। करीब एक हजार साल से ऐसी ही एक घटना ऐस्ट्रोनॉमर्स के सामने पहेली बनी थी और माना जा रहा है कि इसे अब सुलझा लिया गया है। दरअसल, नेचर ऐस्ट्रोनॉमी के मुताबिक एक सितारे में हुए विस्फोट के बाद Crab Nebula पैदा हुआ था लेकिन यह घटना किसी सितारे के फटने या सफेद बौने सितारे में थर्मोन्यूक्लियर विस्फोट के कारण नहीं हुई थी बल्कि कोई तीसरा तरीका था जिसके बारे में जानने की कोशिश बनी रही है।नई तरह का विस्फोट?अब यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने एक नई तरह के सुपरनोवा की खोज की है जिसे नाम दिया गया है- electron capture supernova -जिसके बारे में अब तक ज्यादा सबूत नहीं मिले थे। रिपोर्ट्स में बताया जाता है कि 1054 AD में एक रोशनी की झलक दिखी थी जो शायद super-asymptotic giant branch (SAGB) कैटिगिरी के सितारे में विस्फोट से निकली होगी। कैसे होता है यह सुपरनोवा?1980 में टोक्यो यूनिवर्सिटी ने तीसरे तरीके के सुपरनोवा होने की बात थिअरी दी थी। इसमें ऐसे सितारों में सुपरनोवा होने की बात कही गई जिनके कोर में ऑक्सिजन, नियॉन और मैग्नीशियम हो। इसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन कोर के न्यूक्लियस से टकराते जिसे इल्केट्रॉन-कैप्चर नाम दिया गया। इलेक्ट्रॉन्स के निकलने पर सितारे की कोर अपने ही वजन में दब जाती और विस्फोट हो जाता।कहां मिले सबूत?वैज्ञानिकों का मानना है कि उन्हें धरती से 3.1 करोड़ लाइट इयर दूर NGC-2146 गैलेक्सी में 2018zd सुपरनोवा विस्फोट में तीसरी कैटिगिरी के सबूत मिले हैं। यह खोज यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैंटा बारबरा में ग्रैजुएट स्टूडेंट दाइची हिरामत्सू ने की है। इस विस्फोट में जिस तरह के फीचर्स पाए गए हैं और जैसी इसकी केमिकल बनावट है, उसके आधार पर इसे इलेक्ट्रॉन कैप्चर सुपरनोवा ही माना जा रहा है।नासा ने जारी किया तारे में हुए धमाके का वीडियो, दिखी सूरज से 5 अरब गुना ज्यादा चमकफोटो: NASA/STSCI J. DEPASQUALE; LAS CUMBRES OBSERVATORY