काबुल/वॉशिंगटन : अफगानिस्तान में तालिबान की ओर से नियुक्त गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी बड़ी आर्थिक परियोजनाओं को कथित तौर पर अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं, जिनमें मुख्य रूप से तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (टीएपीआई) गैस पाइपलाइन परियोजना के अफगान खंड का निर्माण शामिल है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान और उसके आसपास के क्षेत्र में आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति की विश्लेषणात्मक समर्थन एवं प्रतिबंध निगरानी टीम की 14वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में संघीय और प्रांतीय प्रशासन में पदों के वितरण को लेकर तालिबान के अधिकारियों के बीच कलह ‘स्पष्ट’ है।शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कार्यवाहक गृह मंत्री और हक्कानी नेटवर्क के नेता सिराजुद्दीन हक्कानी और कार्यवाहक प्रथम उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर के बीच कथित तौर पर बड़े पैमाने पर मतभेद हैं।’ इसमें कहा गया है कि बरादर का सरकार में ‘कम प्रभाव’ है, लेकिन उन्हें दक्षिणी प्रांतों के प्रशासनों का समर्थन मिलना बरकरार है। इसके अलावा, बरादर चाहते हैं कि तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने, विदेश में अफगानिस्तान की संपत्ति पर लगी रोक हटवाने और देश को मिलने वाली विदेशी सहायता का दायरा बढ़ाने की प्रक्रिया उनके नियंत्रण में रहे।भारतीय संसद में ‘अखंड भारत’ का नक्शा, भड़के बांग्लादेशी, पीएम शेख हसीना भारत से मांग रही जवाबटीएपीआई गैस पाइपलाइन पर हक्कानी की नजररिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह संघर्ष सरकारी पदों के लिए प्रतिस्पर्धा और वित्तीय एवं प्राकृतिक संसाधनों तथा वाणिज्यिक सामग्री की तस्करी के रास्तों पर नियंत्रण के इर्द-गिर्द घूमता है।’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘सिराजुद्दीन हक्कानी सबसे बड़ी आर्थिक परियोजनाओं को कथित तौर पर अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं। इनमें मुख्य रूप से तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (टीएपीआई) गैस पाइपलाइन के अफगान खंड के निर्माण संबंधी परियोजना शामिल है।’ लगभग 1,814 किलोमीटर लंबी यह प्राकृतिक गैस पाइपलाइन तुर्कमेनिस्तान से निकलती है और अफगानिस्तान व पाकिस्तान से होकर भारत पहुंचती है।Imran Khan Arrested: इमरान की गिरफ्तारी के बाद क्या पाकिस्तान में तालिबान हो जाएगा हावी?तालिबान ने दी आतंकी संगठनों को शहतुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत ने इस पाइपलाइन के विकास के लिए दिसंबर 2010 में एक अंतर सरकारी समझौते (आईजीए) और गैस पाइपलाइन रूपरेखा समझौते (जीपीएफआई) पर हस्ताक्षर किए थे। साल 2015 में इस पाइपलाइन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, लेकिन अफगानिस्तान में अस्थिरता के चलते इसमें थोड़ी ही प्रगति हो पाई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि तालिबान, अलकायदा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच ‘मजबूत और सौहार्दपूर्ण’ गठजोड़ बना हुआ है तथा तालिबान के अधिकारियों की शह पर आतंकवादी समूहों को खुली छूट मिली हुई है, जिससे देश और क्षेत्र में आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है।