काबुलअफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा जमा लिया है। हालांकि, आपसी विवाद के कारण अभी तक तालिबान सरकार का ऐलान नहीं हो सका है। सितंबर 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने नाटो सहयोगियों के साथ अफगानिस्तान पर हमला बोल दिया था। तब ब्रिटिश सेना ने भी अमेरिकी सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अलकायदा और तालिबान के खिलाफ जंग लड़ी थी। अब ऐसा दावा किया गया है कि कुछ महीने पहले खुफिया मिशन पर गई ब्रिटिश फौज के सैनिकों को बुर्का पहनकर तालिबान के गढ़ से भागना पड़ा था।काबुल के बाहर गुप्त मिशन पर तैनात थे सैनिकडेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में तैनात ब्रिटिश स्पेशल फोर्सेज को काबुल के बाहर एक गुप्त मिशन पर तैनात किया गया था। जब ये सैनिक वापस काबुल के लिए लौटे तो उन्हें तालिबान को चकमा देने के लिए चालाक रणनीति अपनानी पड़ी थी। दरअसल, उनके रास्ते में तालिबान का चेक पाइंट पड़ रहा था। जहां पहचान छिपाने के लिए उन्होंने अपना हुलिया ही बदल लिया।शेर ने अभी दो कदम पीछे खींचे हैं…देखिए तालिबान को कैसे चुनौती दे रही युवा अफगानी महिला नेता जरीफा गफारीमिशन छोड़ काबुल लौटने का दिया गया था आदेशब्रिटिश सेना के स्पेशल एयर सर्विसेज (SAS) की 20 सैनिकों की एक यूनिट को अमेरिकी और नाटो सैनिकों की वापसी के मद्देनजर इस्लामी आतंकवादियों के हमले के बीच निकलने का आदेश दिया गया था। गुप्त मिशन के लिए अफगानिस्तान के सुदूर दक्षिणी इलाके में तैनात इन सैनिकों को यह भी बताया गया था कि उन्हें हेलिकॉप्टर मुहैया नहीं करवाया जा सकता है। अमेरिका ने जेल से छुड़वाया और तीन साल में ही इस बरादर ने बदल दी अफगानिस्तान की बाजी, जानें कैसे?चालाक रणनीति से तालिबान को दिया चकमारिपोर्ट में सूत्र के हवाले से बताया गया था कि अमेरिका के पूर्व निर्धारित समय से पहले ही सैनिकों की वापसी के ऐलान से ब्रिटिश फौज भी घबरा गई थी। उन्होंने दूरदराज के इलाके में तैनात अपने स्पेशल फोर्स के कमांडो यूनिट को तत्काल मिशन रद्द कर वापस काबुल आने का संदेश भेजा। जिसके बाद सैकड़ों किलोमीटर दूर काबुल पहुंचने के लिए एसएएस कमांडो ने छल का सहारा लिया।Taliban Government Formation: सरकार बनाने से पहले ही तालिबान में बवाल, हक्कानी नेटवर्क और मुल्ला उमर के बेटे में झड़प?सैन्य साजो सामान छोड़ लौटे काबुल”हू डेयर विन्स” के आदर्श वाक्य का उद्घोष करने वाले इन कमांडो ने अपने हथियारों और साजोसामान को वहीं छोड़ दिया। उन्होंने राजधानी काबुल तक की सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए पांच स्थानीय टैक्सियां खरीदी। जब वे सफर पर निकले तो काफी दूर तक अफगान सेना की एंटी टेररिज्म यूनिट ने उनकी रक्षा की। लेकिन रास्ते में तालिबान की बढ़ती संख्या को देखते हुए ये सैनिक भी कम साबित होने लगे।Taliban News: तालिबान का मुख्य सरगना कौन और मुल्ला बरादर कितना ताकतवर? एक तस्वीर से समझिएबुर्का पहन गाड़ियों पर लगाए तालिबान के झंडेजिसके बाद ब्रिटिश स्पेशल एयर सर्विसेज को अफगान सैनिकों ने कई अलग-अलग रंग के बुर्के दिए। अफगान महिलाओं के इस पारंपरिक ड्रेस में केवल आंखें ही दिखती है। बाकी का पूरा शरीर ढका रहता है। बुर्का पहने ब्रिटिश सैनिकों ने अपनी टैक्सियों के ऊपर तालिबान के झंडे तक लगा रखे थे। जिसके बाद से तालिबान लड़ाकों ने उन्हें स्थानीय महिला समझकर हर एक चेकपाइंट पर छोड़ दिया।ISI चीफ से मिला ‘काबुल का कसाई’ हिकमतयार, भारत के खिलाफ साजिश तो नहीं रच रहा पाक?एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिक पहचान नहीं सकाकाबुल पहुंचने पर ब्रिटिश सैनिकों ने एयरपोर्ट के बिलकुल पास तक अपनी टैक्सियां लेकर पहुंचे। वहां पहले ही हजारों अफगानों की भीड़ जमा थी। चारों तरफ अराजक स्थिति होने के बावजूद एसएएस सार्जेंट मेजर जैसे-तैसे एयरपोर्ट के गेट पर तैनात एक अमेरिकी सैनिक के पास पहुंचा। जब ब्रिटिश अधिकारी ने खुद का परिचय दिया तो अमेरिकी सैनिक हक्का-बक्का रह गया। उसने अपने सीनियर अधिकारी को इसकी जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद इन्हें एक दूसरे कमरे में लेकर जाया गया। वहां उनकी मुलाकात ब्रिटिश अधिकारियों से करवाई गई। पहचान की पुष्टि होने के बाद इन्हें जल्द से जल्द काबुल से बाहर निकाला गया।प्रतीकात्मक तस्वीर