US Secret Document: बाइडन-ट्रंप दोनों पर गोपनीय दस्तावेजों को रखने का लगा आरोप, लेकिन दोनों में बेहद खास अंतर – biden trump both accused of possessing confidential documents but important difference between the two

सर्रे: अमेरिका के न्याय विभाग ने जब 21 जनवरी को खुलासा किया कि उसके जांचकर्ताओं को राष्ट्रपति जो बाइडन के डेलवेयर स्थित आवास में गोपनीय दस्तावेज मिले हैं तो रिपब्लिकन पार्टी में नाराजगी या कहें बनावटी नाराजगी देखने को मिली। उन्होंने गोपनीय दस्तावेजों के दुरुपयोग की और जांच कराने की मांग करने में देरी नहीं की। रिपब्लिकन, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा उप राष्ट्रपति रहने के दौरान पत्रों की जानकारी देने में की गई लापरवाही को दोहरे अवसर के तौर पर देखते हैं।ऐसे में उनके लिए यह एक सुनहरा मौका है कि मौजूदा राष्ट्रपति को असहज किया जाए जो दोबारा निर्वाचित होने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के कई ऐसे सदस्य भी हैं जो मानते हैं कि इस मांग की आंच उन तक भी आएगी जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी इसी तरह की जांच होगी। ट्रंप कथित तौर पर जनवरी 2021 में व्हाइट हाउस छोड़ने के दौरान हजारों गोपनीय दस्तावेज अपने फ्लोरिडा स्थित आवास मार-आ -लागो ले गए और जिसकी जांच एफबीआई वर्ष 2022 से ही कर रही है। मिले गोपनीय दस्तावेजमौजूदा राष्ट्रपति और उनके पूर्ववर्ती दोनों के पास से गोपनीय सामग्री मिली है जिन्हें उन्हें राष्ट्रीय अभिलेखागार और रिकॉर्ड प्रशासन (नारा) को सौंपना था। वर्ष 1978 में राष्ट्रपति रिकॉर्ड अधिनियम पारित होने के बाद यह अमेरिकी कानून है जिसके तहत राष्ट्रपति द्वारा उनके संवैधानिक, कानूनी या अलंकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करने के दौरान प्राप्त रिकॉर्ड अमेरिका सरकार की संपत्ति है और उक्त राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने पर इन दस्तावेजों का प्रबंधन ‘नारा’ को करना चाहिए। इसका नतीजा है कि अमेरिका के अटॉर्नी जनरल मेरिक गरलैंड ने बाइडन और ट्रंप के कृत्यों की जांच के लिए विशेष अधिवक्ता नियुक्त किए। ट्रंप पर लग सकता है जुर्मानाट्रंप के मामले के लिए जैक स्मिथ को नियुक्त किया गया है। स्मिथ का करियर एक अभियोजक का रहा है जिन्हें न्यूयॉर्क में पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले गिरोह के सदस्यों को दोषी ठहराने, अमेरिकी सीनेटर पर अभियोजन चलाने और हेग में युद्ध अपराधों के मामले लाने का श्रेय जाता है। रॉबर्ट हर जो ट्रंप प्रशासन के दौरान मेरीलैंड के अमेरिकी अटॉर्नी थे और अब वाशिंगटन के शीर्ष कानूनी फर्म के कानूनी साझेदार हैं, को बाइडन के मामले की जांच के लिए नियुक्त किया गया है। गारलैंड पर मौजूदा राष्ट्रपति पर अभियोग चलाने का अधिकार नहीं है और अमेरिकी कांग्रेस बाइडन के खिलाफ महाभियोग चला सकती है अगर पाती है कि उनका कृत्य ‘‘उच्च दर्जे का अपराध और चूक है।’’ इसके विपरीत अगर ट्रंप कार्यालय छोड़ने के बाद राष्ट्रपति रिकॉर्ड अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी पाए जाते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है या तीन साल कैद की सजा हो सकती है। जैसा कि उम्मीद थी अमेरिकी मीडिया ने बाइडन के कृत्य की ट्रंप के कार्यों से तुलना करने में देरी नहीं की, लेकिन अब तक दोनों के मामले बहुत ही अलग प्रतीत होते हैं। बाइडन के मामले में अब तक जांचकर्ताओं को उनके आवास और राष्ट्रपति द्वारा वाशिंगटन में स्थापित थिंकटैंक पेन बाइडन सेंटर से बहुत ही कम संख्या में कागजात मिले हैं जो उनके उप राष्ट्रपति रहने के आखिरी दौर के लगते हैं। दस्तावेजों की हो रही है जांचअभी यह पता लगाना बाकी है कि कितने दस्तावेज वहां पर थे और उनके वर्गीकरण की श्रेणी क्या है। जैसे ही दस्तावेजों का पता चला बाइडन की टीम ने उसे ‘नारा’को सौंपा और तब से बाइडन की संपत्तियों की जांच करने में उनकी टीम सहयोग कर रही है। रोचक तथ्य है कि ऐसे ही कागजातों का जखीरा ट्रंप के कार्यकाल में उप राष्ट्रपति रहे माइक पेंस के इंडियाना स्थित आवास में भी मिला है। इसके उलट ट्रंप व्हाइट हाउस छोड़ने के दौरान हजारों की संख्या में गोपनीय दस्तावेज अपने साथ ले गए। इनमें से कुछ दस्तावेजों को ‘नारा’ ने करीब एक साल बाद बरामद किया और राष्ट्रीय अभिलेखाकार कार्यकर्ता देब्रा स्टीडेल वाल ने इसे गोपनीय राष्ट्रीय सुरक्षा सूचना से जुड़े दस्तावेज करार दिया जो अति गोपनीय थे। ‘नारा’ द्वारा कानून के तहत दस्तावेज मांगने पर ट्रंप ने उन्हें लौटाने से इनकार कर दिया और उन्हें वापस प्राप्त करने के लिए एफबीआई को छापेमारी की कार्रवाई करनी पड़ी और महीनों अदालत में लड़ना पड़ा।