भूमध्य सागर में ब्रिटेन और रूस के बीच जारी तनाव में अब अमेरिका भी कूद गया है। ब्रिटिश एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ के बिलकुल पास मिसाइल युद्धाभ्यास कर रही रूसी सेना को ओहियो क्लास की यूएसएस अलास्का बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी ने चुनौती दी है। कुछ दिनों पहले ही रूस ने आरोप लगाया था कि ब्रिटेन और अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने उसके युद्धपोतों के ऊपर से उड़ान भरी है। यह अमेरिकी पनडुब्बी 21 साल में पहली बार भूमध्य सागर स्थित ब्रिटिश ओवरसीज क्षेत्र में स्थित यूके रॉयल नेवी से बेस का दौरा किया है। अमेरिकी नौसेना ने अपने बयान में बताया है कि उसकी ओहियो श्रेणी की यूएसएस अलास्का बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी ने भूमध्य सागर में ब्रिटिश नौसैनिक अड्डे पर अत्यंत दुर्लभ स्टॉपओवर लिया है। यह ठहराव रसद आपूर्ति के लिए लिया गया है जो पहले से ही निर्धारित थी। लेकिन, विशेषज्ञ इसे रूस से जोड़कर देख रहे हैं। कुछ दिन पहले ही रूस ने ब्रिटिश नौसेना के एचएमएस डिफेंडर को काला सागर से खदेड़ दिया था। 21 साल में पहली बार जिब्राल्टर पहुंची अमेरिकी परमाणु पनडुब्बीअमेरिकी नौसेना ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की थी कि यूएसएस अलास्का कल जिब्राल्टर में रवाना हुआ था। परमाणु शक्ति संपन्न पनडुब्बियों की यात्रा को लेकर इस ऐलान को अप्रत्याशित तौर पर देखा गया। इससे पहले अमेरिका कभी भी अपनी परमाणु पनडुब्बियों की गतिविधियों के बारे में पहले ही जानकारी नहीं देता है। यू.एस. नेवल फोर्सेज यूरोप-अफ्रीका/यू.एस. सिक्स्थ फ्लीट के प्रवक्ता और यूएस नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर लेनया रोटक्लेन ने द वॉर जोन को बताया कि 21 साल में यह पहला मौका है जब ओहियो क्लास के एसएसबीएन ने 1999 के बाद से जिब्राल्टर के नौसैनिक बेस पर ठहराव लिया है। अमेरिका के पास ओहियो क्लास की 18 पनडुब्बियां हैं। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि कि इन 18 में से कितनों ने जिब्राल्टर की आजतक यात्रा की है। लेफ्टिनेंट कमांडर रोटक्लेन ने कहा कि यूएसएस अलास्का (एसएसबीएन 732) ने 28 जून, 2021 को जिब्राल्टर के बंदरगाह पर रसद के लिए पहले से निर्धारित संक्षिप्त स्टॉप का आयोजन किया। अलास्का पनडुब्बी यूरोप और अफ्रीका में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के समर्थन में संचालन के लिए अमेरिकी नौसेना के छठे बेड़े का हिस्सा है। यह संक्षिप्त स्टॉप संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम-जिब्राल्टर के बीच सहयोग को मजबूत करता है।एक साथ 280 ठिकानों पर परमाणु हमला कर सकती है यह पनडुब्बीअमेरिकी नौसेना ने यह नहीं बताया कि यूएसएस अलास्का को किस प्रकार से लॉजिस्टिक की जरूरत थी, जिसके लिए इसे जिब्राल्टर में रुकना पड़ा। इससे पहले अन्य प्रकार की अमेरिकी पनडुब्बियां नियमित रूप से इस रॉयल नेवी बेस पर रुकती रही हैं। बंदरगाह पर पहुंचने पर टगबोट्स ने पनडुब्बी को किनारे पर रोका और उनमें जरूरी सामान को लोड किया। आधुनिक सैन्य पनडुब्बियां जब सतह पर आतीं हैं तो उनकी सुरक्षा को सबसे ज्यादा खतरा होता है। यहां से वे दुश्मन की नजरों से छिप नहीं सकती हैं। अलास्का पनडुब्बी के लिए यह खतरा दोगुना हो जाता है, क्योंकि यह अपने साथ हमेशा फायर करने के लिए तैयार दर्जनों परमाणु मिसाइलों के साथ गश्त करती है। अमेरिकी नौसेना की प्रत्येक ओहियो क्लास की पनडुब्बी में 20 की संख्या में ट्राइडेंट D5 सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात होती हैं। प्रत्येक ट्राइडेंट डी5 मिसाइल 14 की संख्या में स्वतंत्र W76-1 या W88 परमाणु हथियार ले जा सकता है। इनमें से एक W76-1 परमाणु हथियार लगभग 100 किलोटन, जबकि W88 परमाणु हथियार 475 किलोटन की ऊर्जा पैदा कर सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि 20 ट्राइडेंट D5 सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें 280 ठिकानों पर परमाणु हमला कर सकती हैं। कई खतरनाक हथियारों से लैस है यूएसएस अलास्काअमेरिका और रूस के बीच कई हथियार नियंत्रण समझौतों के कारण इन मिसाइलों में से केवल 5 या 6 ही हमेशा तैनात होती हैं। जनवरी 2020 से कुछ ओहियो पनडुब्बियों में तैनात ट्राइडेंट D5s मिसाइलों में कम क्षमता की W76-2 परमाणु विस्फोटक ही लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि ट्राइडेंट D5s मिसाइल केवल पांच किलोटन के परमाणु विस्फोट को कर सकती है। अमेरिका के कई रक्षा विशेषज्ञ इसके लिए सरकार की आलोचना करते हैं, वहीं कई ऐसे भी हैं जो इसे रूस के साथ परमाणु बातचीत करने के लिए आवश्यक कदम बताते हैं। जिब्राल्टर में यूएसएस अलास्का का आगमन मात्र एक संयोग नहीं है। अगर अमेरिका इतने प्रचार के साथ अपनी परमाणु पनडुब्बी को किसी विवादित क्षेत्र में भेज रहा है कि तो इसके कई मायने हो सकते हैं।लंबे समय तक समुद्र में छिपी रह सकती है यूएसएस अलास्कायूएसएस अलास्का को अगर पनडुब्बी में तैनात नौसैनिकों के लिए खाने की वस्तुएं न लेनी हो तो वह कई महीनों तक पानी के नीचे गायब रह सकता है। इसमें खुद के ऑक्सीजन जेनरेटर्स लगे होते हैं, जो पनडुब्बी में तैनात नौसैनिकों के लिए ऑक्सीजन पैदा करते हैं। इसके अलावा परमाणु रिएक्टर लगे होने के कारण इनके पास ऊर्जा का अखंड भंडार होता है। जबकि परंपरागत पनडुब्बियों में डीजल इलेक्ट्रिक इंजन होता है। उन्हें इसके लिए डीजल लेने और मरम्मत के काम के लिए बार बार ऊपर सतह पर आना होता है। पानी के नीचे अगर कोई पनडुब्बी छिपी हुई तो उसका पता लगाना बहुत ही कठिन काम होता है। लेकिन, अगर वह पनडुब्बी किसी काम से एक बार भी सतह पर दिखाई दे दे तो उसको डिटेक्ट करना और पीछा करना दुश्मन के लिए आसान हो जाता है।यूएसएस ओहियो भी 154 टॉमहॉक के साथ लगा रहा गश्तअमेरिका ने अपनी सबसे बड़ी परमाणु पनडुब्बी यूएसएस ओहियो को चीन के नजदीक तैनात किया है। इस पनडुब्बी पर लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें तैनात हैं, जो दुनिया के किसी भी कोने में हमला कर सकती हैं। आकार में बड़ी होने के कारण यूएसएस ओहियो में 154 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें तैनात होती हैं। यह क्षमता अमेरिका के गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर में तैनात मिसाइलों की दोगुनी है। हर एक टॉमहॉक मिसाइल अपने साथ 1000 किलोग्राम तक के हाई एक्सप्लोसिव वॉरहेड को लेकर जाने में सक्षम है। अमेरिकी सेना में 1983 से तैनात यह मिसाइल सीरिया, लीबिया, ईराक और अफगानिस्तान में अपनी ताकत दिखा चुकी है।