वॉशिंगटन: अमेरिका में साल 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और इन चुनावों में भारतीय मूल के रिपब्लिकन दावेदार विवेक रामास्वामी भी मैदान में हैं। 38 साल के विवेक रामास्वामी ने एक आर्टिकल में भारत और चीन को लेकर कई बातें कही हैं। साथ ही उन्होंने अमेरिका और भारत की साझेदारी को मजबूत करने के लिए रक्षा तकनीक के ट्रांसफर का भी समर्थन किया है। विवेक की लोकप्रियता हाल के कुछ दिनों में बढ़ी है। हाल ही में विवेक उस समय खबरों में थे जब अमेरिकी लेखिका ऐन कूल्टर ने उनके धर्म को लेकर निशाना साधा था।विवेक की विदेश नीतिविवेक ने ‘एन अमेरिकन कंजर्वेटिव’ में अपनी विदेश नीति के बारे में बताया है। उन्होंने लिखा है, ‘भारत हमारे इंडो-पैसिफिक नीति का अहम साझीदार है। मैं भारत के गुटनिरपेक्षता और समद्विभाजन की यथार्थवादी परंपरा का सम्मान करता हूं। लेकिन इसके बाद भी मैं उन्हें हमारे दूसरे क्षेत्रीय नेतृत्व के करीब लाने के तरीके तलाश करूंगा।’ इसके साथ ही विवेक ने भारत के सबसे बड़े हथियार निर्यातक होने का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, ‘अभी, भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है, साथ ही प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग का एक मजबूत केंद्र है। अमेरिकी रक्षा उद्योग को शीत युद्ध के बाद के दशकों के कुप्रबंधन से उबरने और बढ़ने में समय चाहिए। भारत इस बीच एक सहायक भागीदार बन सकता है।’ऑकस डील की तरह हो एक डीलविवेक ने भारत के साथ एक ऑकस डील की पैरवी की है। उन्होंने लिखा, ‘मैं एक ऑकस स्टाइल की डील करूंगा ताकि परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी साझा की जा सके और भारतीय नौसेना को सशक्त बनाया जा सके।’ विवेक का मानना है कि अगर भारतीय नौसेना के पास परमाणु पनडुब्बी होगी तो ताइवान में युद्ध के समय अंडमान और मलक्का जलडमरूमध्य में नौसैनिक चीन की घेराबंदी कर सकते हैं। उनके मुताबिक यह जो मध्य पूर्व से चीन को जाने वाला अहम तेल सप्लाई मार्ग से है। यह संभावना ही चीन को ताइवान पर आक्रमण करने से रोक सकेगी।यूरोपियन सेनाओं की तैनातीविवेक के मुताबिक एशिया और ओशिनिया में अमेरिका को जापान, फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य सहयोगियों को अपने रक्षा बजट में विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इन देशों के साथ ही दूसरे देश जिनमें फ्रांस और यूके जैसे यूरोपियन देश शामिल हैं, उन्हें चीन के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए गरीब क्षेत्रीय देशों में निवेश करना चाहिए। उनके मुताबिक फ्रांस और यूके दोनों को वह नौसैनिक बलों को फिर से तैनात करने के लिए प्रेरित करेंगे।