वॉशिंगटनकोरोना वायरस के स्रोत को लेकर घिरे चीन और उसकी वुहान लैब के बारे में एक और अहम खुलासा हुआ है। चीनी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने से रोकने बेहद जरूरी शुरुआती मरीजों के डेटा को डिलीट कर दिया था। कोरोना के स्रोत को लेकर चल रही गहन जांच से पता चला है कि इस महामारी के केंद्र रहे वुहान के दर्जनों मरीजों के नमूनों को अंतरराष्‍ट्रीय डेटाबेस से डिलीट कर दिया गया था।इस अंतरराष्‍ट्रीय डेटाबेस को कोरोना वायरस के विकास पर नजर रखने के लिए बनाया गया था। इन फाइलों से कोरोना वायरस के उत्‍पत्ति को लेकर महत्‍वपूर्ण सुराग हाथ लग सकता था। इससे यह भी पता चल सकता था कि दिसंबर 2019 में वुहान के सी फूड मार्केट में प्रसार से कितना पहले से यह महामारी चीन में फैल रही थी। इन आंकड़ों के डिलीट किए जाने को पकड़ने वाले अमेरिकी प्रफेसर ने कुछ डेट को वापस रिकवर कर लिया है।अमेरिकी प्रफेसर जेसे ब्‍लूम ने बताया कि चीन ने जब से कोरोना के प्रसार की आधिकारिक जानकारी दी है, उसके काफी पहले से ही यह महामारी वहां फैल रही थी। उन्‍होंने पाया कि वायरस के शुरुआती नमूनों से पता चलता है कि यह विकसित हुआ है। हालांकि उन्‍होंने लैब से लीक के सिद्धांत पर ज्‍यादा जोर नहीं दिया। वायरोलॉजिस्‍ट प्रफेसर ब्‍लूम ने कहा कि उनका मानना है कि चीन ने इसलिए फाइलों को डिलीट कर दिया ताकि उनके अस्तित्‍व को छिपाया जा सके। उधर, ब्रिटिश वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज से पता चलता है कि कोरोना वायरस वुहान के वेट मार्केट के खुलासे से कई महीने पहले ही चीन में फैल रहा था। डेटा को डिलीट करने का खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब ऐसी अटकलें तेज हो गई हैं कि यह वायरस चीन की वुहान लैब से गलती से लीक हो गया है। बता दें कि चीन इसका पूरजोर खंडन करता है और इस वायरस के लिए अमेरिका को जिम्‍मेदार बताता है।