नई दिल्ली: सूरज के रहस्य का पता लगाने के लिए आदित्य एल-1 को शनिवार सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। एक दिन बाद आदित्य एल-1 रविवार पहली बार अपनी कक्षा बदली। आदित्य एल-1 दूसरी कक्षा में स्थापित हो गया है। 16 दिन तक पृथ्वी के ही चारों ओर चक्कर लगाएगा और इसके बाद 110 दिनों का लंबा सफर शुरू हो जाएगा।आदित्य एल-1 16 दिनों में पांच बार पृथ्वी की कक्षा बदलेगा। इसके बाद थ्रस्टर फायर किए जाएंगे और यह एल-1 की ओर आगे बढ़ जाएगा। अब 5 सितंबर को दोबारा कक्षा में बदलाव होगा। इसरो ने बताया कि भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य-एल1 की कक्षा संबंधी अगली प्रक्रिया पांच सितंबर 2023 को भारतीय समयानुसार देर रात लगभग तीन बजे निर्धारित है।आदित्य एल-1 235 x 19500 किलोमीटर की कक्षा से निकलकर 245km x 22459 km की कक्षा में पहुंच चुका है। आदित्य एल-1 की यह पहली बड़ी सफलता है और इसके सूरज की ओर पहली छलांग भी कह सकते हैं।आदित्य एल-1 अब अगले चार महीनों में करीब 15 लाख किलोमीटर की यात्रा कर L1 पॉइंट तक पहुंचेगा। यह धरती से सूरज की दूरी का मात्र 1% है। सूर्य से कई करोड़ किलोमीटर दूर रहते हुए आदित्य उसे लगातार निहारेगा।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) को उम्मीद है कि चंद्रयान-3 की तरह Aditya-L1 मिशन भी अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब होगा। चुनौतियों के बावजूद आदित्य एल-1 मिशन में अपार संभावनाएं हैं। हालांकि आदित्य एल-1 मिशन की पूरी तरह सफलता का आकलन करने के लिए लगभग चार महीने तक इंतजार करना होगा।