नई दिल्ली: दिल्ली सर्विस बिल पर चर्चा के अंत में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में ऐसे भाषण दिए गए कि आज दिल्ली की बारी है। कल दूसरे राज्यों का नंबर आएगा। आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद राघव चड्ढा पर तंज कसते हुए शाह बोले कि कोई संसद सदस्य ऐसी बातें सुनकर अपना मत नहीं बदलेगा। अच्छा होगा वह नहीं करें। जो चीजें उन्होंने पढ़कर बताई हैं, वे सिर्फ वही नहीं पढ़ सकते हैं। दूसरे भी उसे पढ़ सकते हैं। शाह से पहले राघव चड्ढा ने बिल के विरोध में कई बातें कहीं। उन्होंने आगाह किया कि आज दिल्ली का नंबर है। कल ओडिशा और दूसरे राज्यों का नंबर आएगा। राघव चड्ढा ने बिल को गैर-कानूनी करार दिया। लोकसभा से पारित होने के बाद सोमवार को राज्यसभा से भी बिल को हरी झंडी मिल गई।अमित शाह ने दिया जवाबबहस का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि राज्यसभा में ऐसा भाषण किया गया कि आज दिल्ली की बारी है। कल ओडिशा की बारी होगी। फिर किसी और राज्य का नंबर आएगा। कोई संसद सदस्य ऐसी बातें सुनकर अपना मत नहीं बदलेगा राघव जी। आप जरा भी चिंता मत कीजिए। ऐसा नहीं है कि सिर्फ आप पढ़ सकते हैं। सभी लोग पढ़ सकते हैं। सभी लोग समझते हैं। और सभी लोग चीजों को जानते भी हैं। इस प्रकार के बदलाव किसी राज्य में नहीं हो सकते हैं। बस यूटी में ही हो सकते हैं। लेकिन प्रॉब्लम इसमें राज्य और यूटी का नहीं है। इसके लिए अपनी मानसिकता को बदलना पड़ेगा। तब जाकर इसका हल निकलेगा।शाह से पहले आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा था कि यह विधेयक एक राजनैतिक धोखा है। यह संवैधानिक पाप है। यह दिल्ली में प्रशासनिक गतिरोध पैदा करने के लिए है। 40 साल से बीजेपी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए बीजेपी ने 1989 से खुद लंबा संघर्ष किया है। 1991 में कांग्रेस की सरकार बनने पर बीजेपी के नेताओं ने कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वे आंदोलन करेंगे।उन्होंने कहा ‘हर बार बीजेपी के घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही गई। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 2003 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने इस सदन में संविधान संशोधन विधेयक 2003 पेश किया जिसमें दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का प्रावधान था।’AAP सांसद ने बिल को बताया लोकतंत्र का अपमानचड्ढा ने कहा कि यह विधेयक संविधान और लोकतंत्र का ही अपमान नहीं है बल्कि यह लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, मदन लाल खुराना, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का भी अपमान है। उन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संघर्ष किया। यह विधेयक उनके संघर्ष को मिट्टी में मिलाता है।उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने दूसरे सदन में कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। आप सदस्य ने कहा- ‘आप नेहरूवादी मत बनिये, आप आडवाणीवादी, वाजपेयीवादी बनिए और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिये।’ उन्होंने कहा, ‘पिछले 25 साल में दिल्ली में छह विधानसभा चुनाव हुए और भाजपा बुरी तरह हारी। पिछले दो चुनाव में आम आदमी पार्टी चुनाव जीती। भाजपा को आने वाले चुनाव में भी वही स्थिति साफ नजर आ रही है। इसीलिए भाजपा सरकार यह विधेयक ले कर आई है।’हम यूटी में और चुनाव वहां का लड़ा है और राज्य की पावर इंजॉय करनी है, इसका प्रॉब्लम है। इस प्रॉब्लम का जवाब भारत सरकार के पास नहीं है, न ही दिल्ली की जनता और सदन के पास है। इसके लिए अपनी मानसिकता को बदलना पड़ेगा। तब जाकर इसका हल निकलेगा।