नई दिल्ली: चंद्रयान-3 अपनी मंजिल पर पहुंच चुका है। चांद पर पहुंचकर विक्रम लैंडर ने अपना काम शुरू कर दिया है। रविवार को इसने ऐसा कुछ भेजा जिसने पूरे वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया। उसने चांद की सतह पर तापमान में भिन्नता दर्ज की है। यहां उच्चतम तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड दर्ज किया गया है। चांद को समझने के लिए यह बहुत बड़ी कड़ी है। चांद से ये चौंकाने वाले रिकॉर्ड उस दिन आए जब भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने तिरुअनंतपुरम के एक मंदिर में पूजा-अर्चना की। बुधवार को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद से पूरी इसरो टीम उत्साहित है। इसने दुनिया में भारत का डंका बजा दिया है। बच्चे-बच्चे की जुबान पर आज चंद्रयान है।भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ जारी किया। अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य जताया। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चांद की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा।इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, ‘यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं। चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा।’वैज्ञानिकों की जानकारी से बिल्कुल अलग ग्राफग्राफिक के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा, ‘हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है। यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से ज्यादा है।’अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है।इसरो ने एक बयान में कहा, ‘इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं। विस्तृत अवलोकन जारी है।’चांद में लगातार पैदा हो रही है दिलचस्पीवैज्ञानिक दारुकेशा ने कहा, ‘जब हम पृथ्वी के अंदर दो से तीन सेंटीमीटर जाते हैं, तो हमें मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता दिखाई देती है, जबकि चंद्रमा यह लगभग 50 डिग्री सेंटीग्रेड भिन्नता है। यह दिलचस्प बात है।’ वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रमा की सतह से नीचे तापमान शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है। उन्होंने कहा कि भिन्नता 70 डिग्री सेल्सियस से शून्य से 10 डिग्री सेल्सियस नीचे तक है।इसरो ने कहा कि ‘चेस्ट’ पेलोड को भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) के नेतृत्व वाली एक टीम ने विकसित किया था।उधर, इसी दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने तिरुवनंतपुरम के पूर्णमिकवु मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्हें मंदिर में ध्यान लगाकर प्रार्थना करते देखा गया।अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए 23 अगस्त को भारत का मून मिशन ‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। इससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला और चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को घोषणा की थी कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट रखा जाएगा और 23 अगस्त का दिन ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। पीएम ने कहा था कि चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने 2019 में अपने पदचिह्न छोड़े थे, उसे ‘तिरंगा’ प्वाइंट के नाम से जाना जाएगा।