नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध बताया। हालांकि, कोर्ट ने साथ ही विधेयक के जरिए ईडी के कार्यकाल में बदलाव को सही ठहराया है। शीर्ष अदालत ने मिश्रा के एक्सटेंशन को अवैध बताने के बाद भी कहा कि ईडी निदेशक इस पद पर 31 जुलाई 2023 तक बने रह सकते हैं।जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय की पीठ ने कहा कि मिश्रा का कार्यकाल विस्तार 2021 के सुप्रीम कोर्ट के डिविजन बेंच के उस फैसले के खिलाफ है जिसमें कोर्ट ने मिश्रा को नवंबर 2021 के बाद कार्यकाल विस्तार नहीं देने को कहा था।कोर्ट ने कहा का संसद के पास ईडी निदेशक का कार्यकाल विस्तार की शक्तियां हैं। विधायिका के पास अदालत के फैसले को पलटने का आधार होता है। ये सबके हित वाला फैसला था। इसमें साफ-साफ कहा गया था कि कार्यकाल का विस्तार नहीं किया जा सकता है। इसलिए मिश्रा को दिया गया एक्सटेंशन कानून के तहत गलत था।गौरतलब है कि मिश्रा को नवंबर 2018 में ईडी निदेशक बनाया गया था। उनका यह कार्यकाल नवंबर 2020 को खत्म हो गया था। मई 2020 में वह रिटायरमेंट की उम्र 60 को पार कर गए। हालांकि, 13 नवंबर 2020 को केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा कि राष्ट्रपति ने 2018 के आदेश को संशोधित कर दो साल के कार्यकाल को बदलकर तीन साल कर दिया है। इसको एनजीओ कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 के अपने फैसले में संशोधन को तो मंजूरी दे दी लेकिन मिश्रा को अतिरिक्त कार्यकाल विस्तार देने से रोक दिया। कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने सीवीसी ऐक्ट पर एक अध्यादेश ले आई। इसके तहत केंद्र के पास ईडी निदेशक के कार्यकाल को बढ़ाकर 5 साल करने की शक्ति आ गई। बाद में संसद ने इस बारे में कानून पास भी कर दिया। केंद्र के इस फैसले को भी कॉमन कॉज ने चुनौती दी थी।