लेखक : अक्षत जैनआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई, इंसानों की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने, इंसानों जैसा निर्णय लेने या इंसानों के लिए फैसले को प्रभावित के लिए इंसानों द्वारा ही तैयार सिस्टम है। ऐसे सिस्टम तेजी से प्रॉडक्ट डेवलपमेंट और संगठनात्मक कामकाज के अभिन्न अंग बन रहे हैं। हालांकि, कैपजेमिनी रिसर्च इंस्टिट्यूट के अनुसार, एआई से काम ले रहे प्रत्येक 10 संगठनों में से नौ को नैतिक मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, 65% अधिकारियों ने दावा किया है कि एआई पूर्वग्रहों से ग्रसित है।…ताकि नैतिक मानदंडों पर खरा उतरे AIएआई सिस्टम बड़ी मात्रा में आंकड़े पैदा करते हैं, लेकिन अगर इनपुट डेटा गलत या पक्षपाती हो तो एआई हानिकारक और अनुचित परिणाम देगा। यही कारण है कि इंसानों और एआई के बीच संपर्क साधने के नियम तय किए जाने की जरूरत महसूस हो रही है। इसके लिए नैतिक मापदंड बनाने की जरूरत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अच्छी बात है कि विभिन्न संगठन इस तरह की नैतिक संहिताओं (Ethical Codes) को विकसित करने पर भारी खर्च उठा रहे हैं।विज्ञान कथा लेखक आइजैक असिमोव ने वर्षों पहले एआई के खतरों का अनुमान लगाया था। उन्होंने रोबोटिक और एआई सिस्टम्स का सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ‘रोबोटिक्स के तीन नियम’ दिए थे। उनका पहला नियम कहता है कि रोबोट को अपने कार्यों या निष्क्रियता के माध्यम से मनुष्यों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। दूसरे नियम के तहत रोबोट को हर हाल में इंसानों द्वारा तय व्यवस्था में ही काम करना होगा, बशर्ते इंसानों के नियम पहले कानून के खिलाफ नहीं हों। तीसरे नियम में रोबोट को तब तक अस्तित्व में रहने की छूट देता है जब तक कि यह पहले और दूसरे नियमों के सिद्धांतों का पालन कर रहा हो।Opinion : AI क्रांति की अगुवा बनी हैं माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और ऐमजॉन जैसी बड़ी कंपनियां; यह अच्छी बात नहीं हैइंसान और एआई के बीच इंटेरेक्शन को लेकर कुछ महत्वपूर्ण नैतिक चिंताएं हैं। इनमें इंसानी आजादी को सुनिश्चित रखने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने जैसे मुद्दे प्रमुख हैं क्योंकि एआई इंसान की निर्णय क्षमता को बढ़ा सकता है, लेकिन इसकी जगह नहीं ले सकता है। नवंबर 2021 में, यूनेस्को ने पहली बार वैश्विक एआई स्टैंडर्ड जारी किया था। इन ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर सिफारिशों’ का उद्देश्य इंसान के अधिकारों, उसकी स्वायत्तता और भलाई को प्राथमिकता देते हुए एआई का विकास और उसके उपयोग को बढ़ावा देना है। यूनेस्को के एआई स्टैंडर्ड्स भेदभाव, पूर्वग्रह और नुकसान से बचने के लिए समावेशिता, पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर देते हैं।यूनेस्को का फ्रेमवर्क यह सुनिश्चित करना चाहता है कि एआई टेक्नॉलजी मानवीय मूल्यों के साथ सामंजस्य में हों और पूरी दुनिया के विभिन्न समाजों और समुदायों में सकारात्मक योगदान दें। यूजर्स को एआई से मिले जवाबों में छिपे पूर्वग्रहों की पहचान करने के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित करना होगा ताकि भेदभाव की आशंका खत्म की जा सके। साथ ही, डेटा के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्राइवेसी और डेटा सिक्यॉरिटी काफी महत्वपूर्ण है। जेडडीनेट के डैफने लेप्रिन्स-रिंगुएट की एक रिपोर्ट के अनुसार, एल्गोरिदम वाच और यूरोपियन डिजिटल सोसाइटी सहित 51 संगठनों ने यूरोपीय संघ को एक पत्र भेजकर निगरानी गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की।Explained : पर्सनल डेटा प्रॉटेक्शन बिल में क्या-क्या? जान लीजिए, आपके बहुत काम की हैं ये बातेंएआई और व्यावहारिक अर्थशास्त्रव्यावहारिक अर्थशास्त्र, आर्थिक मामलों में इंसानों के निर्णय लेने की प्रक्रिया का अध्ययन है। यह दर्शाता है कि मनुष्य भावनात्मक प्राणी है, इसलिए बिल्कुल सटीक निर्णय में पिछड़ जाता है। ऐसे हालात में, एआई बेहतर निर्णय लेने के साथ इंसानों का जीवन स्तर बढ़ाने में मदद कर सकता है। वह डेटा आधारित विकल्पों से संगठनों को अपने काम के तौर-तरीके में बदलाव लाकर अधिक दक्षता प्राप्त करने में मदद कर सकत है।मसलन, एआई बोझिल सूचना की बॉमबार्डिंग का ख्याल रखते हुए बहुत सटीक निर्णय लेता है, जिससे बाजारों के कामकाज अधिक ‘तर्कसंगत’ हो जाते हैं। एआई ने पहले से ही जटिल कार्यों को स्वचालित और तेज करके कुछ मामलों में निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में क्रांति ला दी है। इस कारण अब बेहतर और अधिक सटीक निर्णय लिए जा सकते हैं। आखिरकार, AI का उपयोग करने वाले संगठन ग्राहकों के व्यवहार को बेहतर ठंग से समझ पा रहे हैं। इसका फायदा उन्हें ग्राहकों के सामने उनके पसंद के विकल्प परोसकर अपना बिजनस बढ़ाने में हो रहा है।एक और महामारी देगी दस्तक, मंगल पर होगा इंसानों का घर… AI नास्त्रेदमस ने कीं कई भविष्यवाणियांअमेरिका की डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (Darpa) की एक स्टडी से पता चलता है कि एआई से पैदा एल्गोरिदम आधारित विशेषज्ञता उन परिस्थितियों में निर्णय लेने में काफी मददगार हो सकती है जब इंसानी विशेषज्ञता का अभाव है या उहापोह की स्थिति बन गई है। युद्ध के वक्त या मेडिकल फील्ड में आपातकालीन परिस्थिति के वक्त उचित निर्णय लेने में।इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि व्यावहारिक अर्थशास्त्र और एआई के बीच का संबंध, अध्यन का एक नया आयाम बनकर तेजी से उभर रहा है। मनुष्यों और एआई के बीच संपर्क के लिए आपसी सहयोग की आवश्यकता होगी। ये ‘इंटेलिजेंट’ मशीनें जटिल एल्गोरिदम के माध्यम से काम करती हैं, और उनके दिए रिजल्ट्स कई बार चौंकाने वाले होते हैं। इसलिए, इंसान और एआई के बीच इंटेरेक्शन मात्र यांत्रिक या अनुमान आधारित समन्वय की सीमा में बंधा नहीं है बल्कि लचीली रणनीतियों के जरिए बिल्कुल सटीक रिजल्ट्स पाए जा सकते हैं।प्राइवेसी का सवालपारदर्शिता का महत्वएआई सिस्टम्स में बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण करने और अपनी प्रतिक्रियाओं से मानव व्यवहार को सूक्ष्मता से प्रभावित करने की क्षमता होती है। उदाहरण के लिए, जब आप एक यूट्यूब वीडियो देखते हैं, तो जो वीडियोज सजेशन में आते हैं, वे हमेशा आपकी पसंद के अनुरूप ही नहीं होते। एआई में इस तरह की मनोवैज्ञानिक हेरफेर और लुभाने की क्षमताओं ने नैतिक चिंताओं को बढ़ा दिया है। ऐसे में ‘व्यक्तिगत’ अनुभवों और यूजर्स की आजादी के बीच संतुलन की आवश्यकता है।लकवाग्रस्त शख्स ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बढ़ाया कदम, AI बना जिंदगी का सहाराहालांकि भावनात्मक बुद्धिमत्ता (Emotional Intelligence) से यूजर्स की अनुभव क्षमता बढ़ती है, लेकिन इससे छेड़छाड़ को लेकर सतर्क रहना काफी महत्वपूर्ण है। इसके लिए पारदर्शिता एक अनिवार्य शर्त है। इसी तरह, एआई की सीमाओं के बारे में भी जागरूकता जरूरी है। एआई को लगातार पूर्वग्रह मुक्त करने की जरूरत है ताकि उसके निर्णयों पर भरोसा बढ़ सके। अंत में, फीडबैक देने के विकल्प से यूजर्स को एआई सिस्टम को सुधारने का एक हथियार मिल जाता है। यूजर्स एआई का जवाब ज्यों का त्यों स्वीकार करने के बजाय उसे सुधारने को कह सकता है। इससे एआई और इंसान के बीच संपर्क सेतु मजबूत हो सकता है। ये सभी कारण हैं कि एआई टेक्नॉलजी के विकास और उसके उपयोग के वक्त नैतिक मानदंडों और व्यवहारिक आर्थिक समझ का ख्याल रखा जाए ताकि ऐसे भविष्य का मार्ग प्रशस्त हो सके जहां एआई मानवता की सेवा जिम्मेदारी और नैतिक के साथ कर सके।लेखक आईआईटी दिल्ली में शोध छात्र हैं।