नई दिल्ली: 2024 के लोकसभा चुनाव को अब 8 महीने से भी कम समय बचा है। सत्तासीन मोदी सरकार और विपक्ष का नया गठबंधन I.N.D.I.A दोनों दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने का दावा कर रहे हैं। दोनों तरफ से बैठकों और रणनीति का दौर जारी है। एनडीए और I.N.D.I.A इस मौके को जाने नहीं देना चाहते। लोकसभा में केंद्र सरकार की जीत उसे तीसरी बार सत्ता का सुख देगी तो दूसरी ओर अगर जीत मिली तो नया गठबंधन नए सिरे से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करेगा। इस बीच कई पार्टियां ऐसी हैं जो एनडीए या I.N.D.I.A. का हिस्सा बन रही हैं या बन सकती हैं। इसमें पहला नाम है आंध्र प्रदेश की चंद्राबाबू नायडू की पार्टी टीडीपीका है। केंद्र में सहयोगी रही और 2014 के बाद एनडीए से अलग हुई तेलगु देशम पार्टी एक बार फिर मोदी सरकार में शामिल होना चाहती है। इससे पहले टीडीपी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू की एक शर्त है। अगर यह शर्त बीजेपी मान लेती है तो 2024 में बीजेपी के साथ चुनावी मैदान में उतर सकती है। लेकिन, टीडीपी के चीफ की शर्त क्या है जानते हैं।एनडीए में आएगी टीडीपी लेकिन…नैशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी एनडीए में शामिल होने के लिए तेलगु देशम पार्टी ने एक शर्त रखी है। टीडीपी प्रमुख चंद्राबाबू नायडू ने साफ तौर पर कहा है कि हमारी पार्टी एनडीए में तभी शामिल होगी अगर, बीजेपी YSRCP से संबंध तोड़ ले। अभी, आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी पूरी तरह से बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए का हिस्सा नहीं है लेकिन उससे भारतीय जानता पार्टी से अच्छे संबंध है। हाल ही में, दिल्ली अध्यादेश बिल को लेकर भी वाईएसआरसीपी ने एनडीए का साथ दिया था। इससे पहले भी सदन में के मोदी सरकार की ओर से पेश कई महत्वपूर्ण बिलों को जगनमोहन की पार्टी ने अपना समर्थन दे चुकी है।इसे देखते हुए चंद्रबाबू ने बीजेपी से कह दिया है कि 2024 से पहले हम सरकार का हिस्सा बनने को तैयार हैं लेकिन उससे पहले भाजपा को वाईएसआरसीपी से अपने संबंध तोड़ने होंगे। बता दें कि लोकसभा चुनाव के अलावा आंध्र प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होंगे।एनडीए के साथ आने को तैयार हैं चंद्रबाबूटीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू एनडीए के पुराने सहयोगी रहे हैं। 2014 में लोकसभा साथ लड़ने के बाद 2019 के आम चुनाव में अलग होने के बाद से नायडू अकेले ही लड़ रहे हैं। लेकिन बीते कुछ महीनों से तेलगु देशम पार्टी का मन बदला है। आंध्र प्रदेश की सत्ता में वापस आने के लिए इसे एक कवायद के रूप में देखा जा रहा है। राज्य की सत्ता में वापस आने की कोशिश में, नायडू ने केंद्र में भाजपा नेतृत्व के साथ संबंध सुधारने के प्रयास किए हैं और एनडीए में वापस आने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। हालांकि, नायडू पिछले महीने यहां भाजपा की ओर से आयोजित एनडीए दलों की बैठक में अनुपस्थित थे। सूत्रों ने कहा कि वाईएसआरसीपी के साथ अनौपचारिक संबंध भाजपा और टीडीपी के बीच औपचारिक गठबंधन को रोक रहे हैं।भाजपा के मन में क्या चल रहा है?भारतीय जनता पार्टी इस समय क्या सोच रही है? अपनी ओर से, भाजपा YSRCP और TDP दोनों के साथ अपनी लाइन खुली रखे हुए है। सूत्रों ने कहा कि नायडू ने हालांकि यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा के वाईएसआरसीपी से सभी संबंध तोड़ने के बाद ही वह एनडीए के साथ गठबंधन करेगी। यह भी पता चला है कि भाजपा और टीडीपी के बीच इस समय अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण पुल का काम कर रहे हैं। पवन कल्याण की पार्टी जनसेना पहले ही भाजपा के साथ गठबंधन कर चुकी है। चंद्राबाबू नायडू की इस शर्त पर अभी भारतीय जनता पार्टी की तरफ से कोई टिप्णी या बयान सामने नहीं आया है। देखना होगा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए क्या फैसला करती है।कई बिलों पर जगनमोहन की पार्टी ने दिया है समर्थनभारतीय जनता पार्टी वाली एनडीए के साथ सीएम जगनमोहन रेड्डी की पार्टी ने गठबंझन नहीं किया है पर लोकसभा और राज्यसभा में उसने केंद्र सरकार का ही साथ दिया है। हाल की बात करें तो, दिल्ली अध्यादेश और केंद्र के खिलाफ आए अविश्वास प्रस्ताव पर वाईएसआरसीपी ने बिना शर्त समर्थन दिया था। इसके पहले भी पार्टी ने संसद में कई महत्वपूर्ण बिलों पर केंद्र का साथ दिया है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि वाईएसआरसीपी के सांसद दिल्ली सेवा विधेयक और अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मोदी सरकार का समर्थन करने से खुश नहीं थे।