1) नाकामयाबी की वजह ठीक से समझेंपिछली बार हर स्तर पर कामयाब रहने के बाद भी आखिरी के 15 मिनट में चंद्रयान ने अपना संतुलन खो दिया था। इसरो ने उन सारे कारणों को ठीक से समझा। गति को कैसे कम करना है, डिजाइन में कैसे बदलाव करने हैं, चंद्रयान के पांवों को कितना और मजबूत करना है, उन पर पूरा शोध किया गया। सारी कमियों को दुरुस्त करने के बाद चार साल में फिर से मिशन लांच किया गया। आम जिंदगी के किसी भी हिस्से में फेल होने पर अपनी कमियों पर ऐसे ही काम करके उन्हें दुरुस्त किया जाना चाहिए।2) जरूरत से ज्यादा सपोर्ट न लेंपिछली बार चंद्रयान में पांच इंजन रखे गए थे। इस बार इनकी संख्या चार ही रखी गई। पिछली असफलता की कमियों पर अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि ज्यादा इंजन होने की वजह से उन सभी में आपसी तालमेल नहीं बन पा रहा था। इसलिए इस बार वैज्ञानिकों ने एक इंजन को कम कर दिया। इसके बावजूद इस बार मिशन कामयाब रहा क्योंकि जो इंजन थे, उनमें तालमेल बेहतर था। आम जिंदगी में भी बाहर से उतना ही सपोर्ट लेना चाहिए जितने की वाकई जरूरत हो। ज्यादा जोगी मठ उजाड़ की स्थिति नहीं बनानी चाहिए।3) महत्वपूर्ण वक्त की संवेदनशीलता को समझेंकिसी भी मिशन में कुछ ऐसे पल, फेज या चरण होते हैं जहां पर बहुत फूंक-फूंक कर कदम रखना होता है। जैसे चंद्रयान 2 की लैंडिग के वक्त एटीट्यूट होल्ड चरण था ही नहीं। आखिरी के पंद्रह मिनट के एक बहुत छोटे से दस सेकंड के इस हिस्से में विक्रम लैंडर ने अपने वेग की गति में कमी लाते हुए थोड़े से घुमाव के साथ अपनी लैंडिग की सही जगह को स्कैन किया। इस बार वैज्ञानिक सफल रहे। नाकामयाबी को कामयाबी में बदलने के लिए इसी तरह आम जीवन में भी अपनी योजना को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर सावधानी से पूरा किया जा सकता है।4) चरम पर पहुंचते वक्त बना रहे संतुलनचंद्रयान दो आखिरी के तीन मिनट में लड़खड़ाया था। सैकड़ों वैज्ञानिकों और इसरो स्टाफ की बरसों की मेहनत आखिरी के तीन मिनट में बेकार हो गई थी। तीन मिनट पहले चंद्रयान-2 अपने रास्ते से भटका और 55 डिग्री के बजाए 410 डिग्री घूमकर चांद की सतह से टकरा गया। इस बार मिशन के इस हिस्से को फुलप्रूफ रखने के लिए डिजाइन में पर्याप्त बदलाव किए गए थे। आम जीवन से जुड़े प्रोजेक्ट भी अक्सर आखिरी चरण में नियंत्रण खोते हैं। उस वक्त सबसे ज्यादा सावधानी और फोकस की जरूरत होती है, यह चंद्रयान तीन से सीखा जा सकता है।5) डैमेज कंट्रोल का इंतजाम जरूर रखेंमान लीजिए चंद्रयान-3 का मिशन भी फेल हो जाता तब भी इस बार वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे इंतजाम किए थे कि यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से फेल नहीं होता। इस बार दो के बजाए चार सोलर पैनल रखे थे। ऐसा इसलिए किया गया था ताकि चंद्रयान अगर गिर जाए या गलत जगह पर उतर जाए तो भी लैंडर अतिरिक्त ऊर्जा से खुद को सही जगह पर लैंड कर ले। आज जिंदगी से जुड़े प्रोजेक्ट में भी यह गुंजाइश रखनी चाहिए कि अगर कोई गड़बड़ होती है तो चीजों को कैसे दुरुस्त करेंगे।