बेंगलुरु: कर्नाटक के उडुपी (Udupi Hijab Row) के सरकारी पीयू महिला कॉलेज से शुरू हुआ हिजाब का मामला (Karnataka Hijab Row) हाई कोर्ट में है। हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान (Karnataka HC Hijab Hearing) कड़ी टिप्पणी की है। राज्य में हिजाब और भगवा शॉल पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच अदालत ने कहा (HC on Hijab Row) है कि भावनाओं और जुनून से नहीं कानून और संविधान से देश चलेगा। हिजाब विवाद (Hijab Dispute of Karnataka) की सुनवाई छह छात्राओं की ओर से दायर की गई याचिका पर हो रही है। आइए जानते हैं आज की सुनवाई में (Hijab Saffron Shawl Controversy) क्या हुआ..हम कानून और संविधान के मुताबिक चलेंगे: हाई कोर्टकर्नाटक हाई कोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे के बाद सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट ने कहा कि हम तर्क और कानून से चलेंगे न कि भावनाओं और जुनून से। देश के संविधान में जो व्यवस्था दी गई है, हम उसके मुताबिक चलेंगे। संविधान हमारे लिए भगवद्गीता की तरह है। कर्नाटक सरकार के एडवोकेट जनरल ने अदालत को बताया कि यूनिफॉर्म के बारे में फैसला लेने की स्वतंत्रता छात्रों को दी गई है। जो स्टूडेंट इसमें छूट चाहते हैं उन्हें कॉलेज की डेवलपमेंट कमिटी के पास जाना चाहिए। सिखों पर कनाडा-यूके कोर्ट का भी हाई कोर्ट ने किया जिक्र हाई कोर्ट ने लंच के बाद दोपहर तीन बजे फिर मामले पर सुनवाई शुरू की। कोर्ट ने इस दौरान सिख समुदाय से संबंधित विदेश की अदालतों के आदेश का हवाला देते हुए कहा, ‘सिखों के मामले में न सिर्फ भारत की अदालत बल्कि कनाडा और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) की कोर्ट ने भी उनकी प्रथा को आवश्यक धार्मिक परंपरा के तौर पर माना।’ Hijab row in Karnataka: क्या कर्नाटक की कक्षाओं में हिजाब की इजाजत दे दी जानी चाहिए?छात्राओं की तरफ से पैरवी में वकील ने कुरान का किया जिक्रहिजाब पहनने के अधिकार की मांग कर रहीं छात्राओं की ओर से सीनियर एडवोकेट देवदत्त कामत ने कोर्ट में पैरवी की। उन्होंने कहा, ‘पांच फरवरी 2022 को राज्य सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया है, वह तीन हाई कोर्ट के तीन फैसलों पर आधारित है। लेकिन ये मामले हिजाब से जुड़े नहीं थे। पवित्र कुरान में हिजाब पहनने को आवश्यक धार्मिक परंपरा बताया गया है।’कामत ने कुरान की आयत 24.31 का हवाला देते हुए कहा कि गर्दन के नीचे के हिस्से का प्रदर्शन पति के अलावा किसी और के लिए नहीं होना चाहिए। कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कामत ने कहा, ‘सवाल यह है कि क्या इस परंपरा को हटाने से संबंधित धर्म का मूल चरित्र बदल जाता है। धार्मिक अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर किसी धार्मिक परंपरा की धर्मनिरपेक्षता का परीक्षण नहीं किया जा सकता है।’ कामत ने कोर्ट में उस फैसले को भी पढ़ा जिसमें धार्मिक प्रथाओं को किस हद तक संवैधानिक संरक्षण मिल सकता है, इसका जिक्र है।Karnataka Hijab violence: कर्नाटक में हिंसक हुआ हिजाब बनाम भगवा शॉल का मुद्दा, पथराव और लाठीचार्ज के बाद तनाव, स्कूल-कॉलेज बंदन हिजाब न भगवा शॉल…धर्म का पालन करने के लिए नहीं आना चाहिए स्कूल, कर्नाटक के गृह मंत्री का बयानसंविधान के अनुच्छेद 21 का दिया हवालाछात्राओं की तरफ से पैरवी करते हुए कामत ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुट्टास्वामी जजमेंट का जिक्र करते हुए कहा कि हिजाब पहनना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार (Right to privacy) में आता है। कामत ने कहा कि सरकार का आदेश कर्नाटक एजुकेशन रूल्स में नहीं आता है। लिहाजा राज्य को नोटिफिकेशन जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।क्लास के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार देने की मांगएक छात्रा की ओर से कर्नाटक हाई कोर्ट में यह रिट याचिका दायर की गई थी। छात्रा ने रिट में कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया है। छात्रा रेशम फारूक की रिट याचिका का प्रतिनिधित्व उनके भाई मुबारक फारूक कर रहे हैं। इस बीच हाई कोर्ट में सुनवाई से पहले उडुपी के महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में हिजाब और भगवा शॉल पहने स्टूडेंट्स आमने-सामने हो गए। इस दौरान जमकर नारेबाजी भी की गई। Hijab row in Karnataka: मामला हाई कोर्ट में है, शांति बनाए रखें और फैसले का इंतजार करें, हिजाब विवाद पर बोले कर्नाटक के मुख्यमंत्रीसंविधान के अनुच्छेद 14 और 25 का दिया हवालायाचिकाकर्ता ने कहा है कि छात्राओं को हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत दिया गया मौलिक अधिकार है और इस्लाम के तहत यह एक आवश्यक प्रथा है।बताया मौलिक अधिकारयाचिकाकर्ता ने अनुरोध किया कि उसे और उसकी अन्य सहपाठियों को कॉलेज प्रशासन के हस्तक्षेप के बिना हिजाब पहनकर कक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए। कॉलेज ने इस्लाम धर्म का पालन करने वाली आठ छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया। इसमें कहा गया है कि ये छात्राएं हिजाब पहने थीं, इसलिए उन्हें शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया।Hijab row: ‘हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र की तरह मुसलमानों की धार्मिक पहचान’, लोकसभा में कर्नाटक से कांग्रेस सांसद ने उठाया हिजाब मुद्दायाचिकाकर्ता की ओर से शतहाबिश शिवन्ना, अर्णव ए बगलवाड़ी और अभिषेक जनार्दन अदालत में पेश हुए थे। इस मामले में पहली सुनवाई के लिए 8 फरवरी की तारीख निर्धारित की गई थी।उडुपी के विधायक एवं कॉलेज विकास समिति के अध्यक्ष के. रघुपति भट ने हिजाब पहनने के अधिकार के लिए विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं के साथ बैठक के बाद स्पष्ट रूप से कहा था कि शिक्षा विभाग के फैसले के तहत छात्राओं को ‘हिजाब’ पहनकर कक्षा में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। Karnataka Hijab row: हिजाब के समर्थन में उतरीं कांग्रेस MLA, मैं विधानसभा में हिजाब पहनती हूं, कोई रोक सके तो रोक ले’सियासी हुआ हिजाब का मुद्दाबता दें कि उडुपी के कॉलेज में कक्षा के अंदर हिजाब बैन का मुद्दा दूसरे कॉलेजों में फैला। पूरे राज्य में यह विवाद अब हिजाब बनाम भगवा शॉल हो गया है। उडुपी के महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में स्टूडेंट्स के दो ग्रुप आमने-सामने हो गए। एक समूह ने हिजाब पहना हुआ था, वहीं दूसरे समूह ने भगवा शॉल ओढ़ी थी। इस बीच शिवमोगा और बगलकोट में हिंसक विरोध प्रदर्शन की घटनाएं सामने आई हैं। यहां पथराव के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। वहीं शिवमोगा में धारा 144 लागू की गई है।कर्नाटक के कॉलेजों में हिजाब पहनने पर विवाद