बेंगलुरु ने ऐसा क्या कमाल कियाबेंगलुरु में आप देखिए 50 के दशक में बड़ी-बड़ी इंडस्ट्रीज लगाई गईं और वहां कैंट भी था। आजादी से पहले मैसूर के जो पीएम थे, उन्होंने डैम वगैरह इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया आज आप देखिए वहां ज्यादातर यूनिकॉर्न (1 बिलियन डॉलर वैल्यूएशन) मिलेंगे। कानपुर के साथ दिक्कत ये थी कि वह समय के साथ अपने इकोनॉमिक स्ट्रक्चर नहीं बदल पाया। दूसरी गलती ये थी कि कानपुर कमाता था और लखनऊ उड़ाता था। मैं लखनऊ का हूं… वहां हमारे यहां हमेशा लाइट रहती थी और कानपुर में 12-12 घंटे लाइट नहीं रहती थी। ऐसे में कौन सी इंडस्ट्री सर्वाइव करेगी। सरकारों ने भी ध्यान नहीं दिया। यही डेट्रॉयट का उदाहरण है। वहां बेरोजगारी है, क्राइम रेट बढ़ा हुआ है। लोग छोड़कर जा चुके हैं।शहरों की जरूरत क्यों है?मेरे हिसाब से गांव में बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए लेकिन मानव सभ्यता का उद्देश्य क्या है? आप विकास करें। मैं 35 का हूं अगर मैं 18वीं सदी का होता तो मैं अब तक मर चुका होता। प्रोग्रेस तभी हो सकती है जब आप इनोवेट करेंगे। इसके लिए क्या चाहिए। आप मुझसे सीखेंगे, मैं उनसे सीखूंगा, वो किसी और से… साथ में लोग रहेंगे वे ऐसा काम करेंगे जो वे बेहतर तरीके से कर सकते हैं। जहां उन्हें बेहतर पैसा मिलेगा। ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता है कि सब लोग मन मसोस कर शहर जाते हैं। अधिकतर लोग बेहतर संभावनाओं के लिए जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो दिल्ली से फिर लोग अमेरिका, कनाडा क्यों जाते? क्योंकि वहां उन्हें इनोवेट करने का मौका मिलता है वहां उन्हें बेटर क्वॉलिटी ऑफ लाइफ मिलती है, वहां उन्हें बेटर सैलरी मिलती है। यही एक ट्रैजक्टरी है मानव सभ्यता की। ऐसा नहीं है कि ये भारत की बात है, ये हड़प्पा सभ्यता से होता रहा है।आप गांव में कितने लोगों को रख पाओगे 500, हजार 2 हजार और यहां पर 10 मिलियन, 15 मिलियन। मैं शहर में कहीं भी जाऊं वहां मैं सीखूंगा और अपने दूसरे काम में उसे इस्तेमाल करूंगा। अगर मैं एक गांव से दूसरे गांव में जाऊंगा तो क्या वहां मुझे सीखने के लिए ऐसा कोई एक्सपर्ट मिलेगा? वास्तव में आर्थिक तरक्की दो पहियों पर होती है- औद्योगीकरण और शहरीकरण। शहर क्यों हैं? जब इतनी दिक्कतें हैं तो लोग क्यों आते हैं। यही समझ में आया कि यह एक्सपेरीमेंट रुकेगा नहीं, आपको सीखना पड़ेगा अपनी रोजी-रोटी चलाना। हमसे पहले चीन में ट्रांजिशन हुआ। कोई भी देश बिना शहरीकरण के सफल नहीं हो पाया।(नीति आयोग में पीएम नरेंद्र मोदी के सलाहकार रहे देवाशीष धर ने जैसे ‘लल्लनटॉप’ को बताया)