नई दिल्ली: खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर की कनाडा में एक गुरद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। निज्जर भारत में मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल था जिस पर 10 लाख रुपये का इनाम था। पंजाब में जालंधर के भारसिंघपुर गांव का रहने वाले निज्जर को कनाडा के सरे स्थित गुरु नानक सिख गुरद्वारा साहिब के पार्किंग एरिया में गोली मारी गई। रविवार रात करीब आठ बजे निज्जर को गोली मारी गई। निज्जर कनाडा में बैठकर खालिस्तान आंदोलन को हवा दे रहा था। निज्जर की मौत के साथ ही खालिस्तानी मुहिम अब दम तोड़ती नजर आ रही है। UK और कनाडा में अब धीरे-धीरे आतंकवादी संगठन का नेटवर्क सिकुड़ता जा रहा है। भारतीय जांच एजेंसियों की अब प्राथमिकता ‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू को पकड़ना है।सुरक्षा अधिकारियों का दावा है कि आपसी कलह और हाल ही में कई मौतों के कारण यूनाइटेड किंगडम और कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी संगठन का नेटवर्क छोटा हुआ है। एक दूसरे खालिस्तानी समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू को पकड़ना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है।सूत्रों ने बताया कि जहां कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक टीम ब्रिटेन पहुंची थी। वहीं भारत सरकार भी खालिस्तानी आतंक से कूटनीतिक तरीके से निपट रही है। भारत ने इन आतंकी समूहों का मुद्दा कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका के समक्ष भी उठाया है। भारत ने ऐसे ग्रुप्स के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की है।बीते कुछ महीनों में कई खालिस्तानी नेताओं का सफाया हो चुका है। 23 मार्च को मोगा जिले में पंजाब पुलिस द्वारा अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी होती है। इस गिरफ्तारी से खालिस्तानी मुहिम को भारत में तगड़ा झटका लगा। मई महीने में ही पाकिस्तान में 63 वर्षीय खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार की हत्या की खबर सामने आई। वह खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के शीर्ष नेताओं में शामिल था। संगठन को 2020 में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया। पिछले हफ्ते भारतीय दूतावास पर हमले की योजना बनाने वाले खालिस्तानी समर्थक अवतार सिंह खांडा की ब्रिटेन में मौत की खबर आती है। बताया गया कि वह ब्लड कैंसर से पीड़ित था।केंद्र सरकार को जानकारी मिली थी कि भारत और विदेशों में स्थित कुछ संस्थाओं और व्यक्तियों जैसे ‘सिख फॉर जस्टिस’ ने अन्य आतंकवादी संगठनों और गिरोहों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची। ‘पंजाब रेफरेंडम 2020’ के नाम से एक अभियान भी शुरू किया गया। वे भारत से पंजाब राज्य के अलगाव के लिए आंदोलन करने के लिए सिख समुदाय के सदस्यों को उकसाने के लिए कई हथकंडे अपनाते हैं। सोशल मीडिया पर बकायदा कैंपेन चलाकर फंड भी जुटाया गया।