गुजरात से आई एक दर्दनाक खबर और नरेंद्र मोदी के लिए सब कुछ बदल गया

‘मोरबी में 1979 में वो बांध टूटा था। मानव इतिहास के डैम डिजास्टर की बात करें तो इतना भयावह कोई दूसरा नहीं था। हमने 100 लोगों से बात की, जो अलग-अलग दौर में नरेंद्र मोदी से जुड़े रहे हैं। उसमें ये पता चला कि मोरबी डैम का जब हादसा हुआ तो मोदी दक्षिण भारत में थे। उन दिनों वह संघ के संभाग प्रचारक हुआ करते थे। उनको जैसे ही पता चला वह लौटकर गुजरात आए और अपने स्तर पर पहल शुरू की। पुनर्वास का काम शुरू हुआ और जिस एरिया में इन लोगों ने रिहैबिलेटशन का काम लिया था, उसके बारे में आज तक लोग बोलते हैं कि बहुत अच्छा काम हुआ था। असल में तब स्थिति यह थी कि गुजरात में RSS का बहुत मजबूत बेस नहीं था या कहिए कि उसकी स्वीकार्यता बहुत ज्यादा नहीं थी। न संघ की और न जनसंघ की। उस समय तो भारतीय जनसंघ भी मर्ज हो गया था (जनता पार्टी में)… लेकिन जिस तरह से काम हुआ, वो लोग बताते हैं कि अद्भुत था। वो एक निश्चित एरिया में काम किया गया था। उसकी चर्चा आज भी होती है।