नई दिल्ली: चांद पर कदम रखने से हमारा चंद्रयान बस थोड़ी दूरी पर है। घड़ी की सुई के हिसाब से बात करेंगे तो अब कुछ घंटे ही शेष हैं। तय समय शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडर विक्रम चंद्रमा की धरती पर उतरते ही भारत इतिहास रच देगा। देश ही नहीं पूरी दुनिया की निगाहें इस खास पल पर नजर गड़ाएं बैठी हैं। इससे पहले चंद्रयान-3 से जुड़ी एक रोचक कहानी बताना जरूरी है। मिशन का नाम चंद्रयान नहीं था। इसकी उत्पत्ति और नामकरण के बारे में एक दिलचस्प कहानी सामने आई है। चंद्रयान का नाम पहले चंद्रयान नहीं बल्कि सोमयान था। साल 1999 में अटल सरकार के कार्यकाल में इसका नया नामकरण किया गया था। नाम बदलने के पीछे की वजह क्या थी वह जानते हैं।चंद्रयान नहीं सोमयान था नामयह साल था 1999, तब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार थी। उनकी सरकार ने चंद्रयान मिशन को मंजूरी दी थी और वो भी इसका नाम बदलकर। अटल बिहारी वाजपेई ने इसरो के वैज्ञानिकों का सुझाया नाम सोमयान को बदलकर चंद्रयान करने को कहा। नामकरण में इस बदलाव ने अंतरिक्ष विभाग से जुड़े वैज्ञानिकों का भी ध्यान खींचा था। मिशन का पहला नाम सोमयान एक संस्कृत कविता से प्रभावित था। कविता की कुछ लाइनों का अनुवाद इस तरह से था- हे चंद्रमा! हम आपकी समझ को अपनी बुद्धि से प्राप्त करें। ज्ञान से हमारे मार्ग को रोशन करें।आखिरी 17 मिनट पर टिका है चंद्रयान-3 का भविष्य, जानें इस खौफ से कैसे निपटेगा लैंडर विक्रमसोमयान था तो क्यों अटल ने बदला नामडक्कन क्रॉनिकल ने अपनी रिपोर्ट में नाम बदलने के फैसले के बारे में बताया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ। के. कस्तूरीरंगन ने उस दिन को याद करते हुए बताया कि वाजपेयी ने कहा कि मिशन को चंद्रयान कहा जाना चाहिए, न कि सोमयान। क्योंकि देश एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है। अभी हम चांद पर कई तरह की खोज के लिए अपने मिशन को भेजते रहेंगे। कस्तूरीरंगन मई 1999 में पोखरण II के पहले वर्ष के उपलक्ष्य में नई दिल्ली में प्रस्तुतियों के लिए आमंत्रित प्रमुख मेहमानों में से एक थे। समाचार वेबसाइट से बात करते हुए, उन्होंने कहा, ‘मिशन की योजना चार साल में तैयार की गई थी, इसके बाद इसके एग्जक्यूशन के लिए 4 साल और लग गए।’Chandrayaan-3: इतिहास रचने से भारत बस एक कदम दूर, कुछ घंटे बाकी और चांद पर होगा चंद्रयान-3चंद्रयान-3 इतिहास रचने के लिए तैयार, अब तक का सफर देखिएसाल 2003 में भारत के 56वें स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए, अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के पहले मिशन चंद्रयान-1 के बारे में बताया था। भाषण के दौरान चंद्रयान-1 को लेकर उत्साह देखने लायक था। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा था कि हमारा देश अब विज्ञान के क्षेत्र में ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत 2008 तक अपने अंतरिक्ष यान को चंद्रमा पर भेजेगा। इसे चंद्रयान नाम दिया जा रहा है। इसके बाद साल 2004 में मनमोहन सरकार सत्ता में आई और साल 2008 में श्रीहरिकोटा से इसे सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।चंद्रयान-3 आज, 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर उतरने के लिए पूरी तरह तैयार है। अगर मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों के प्रतिष्ठित क्लब में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने चंद्रमा पर उतरना हासिल किया है। इनमें शामिल हैं – चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस (पूर्व सोवियत संघ)।